लखनऊ:दुबग्गा के अवैध गैस रिफलिंग गोदाम में हुए धमाके में झुलसे मजूदर रंजीत चौरसिया की मौत हो गई. रंजीत आदर्श नगर मल्लपुर ठाकुरगंज निवासी था जिसका ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा था. 6 दिसंबर को दुबग्गा में अवैध रिफलिंग दौरान सिलेंडर फटने के बाद 6 लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे. जिनको इलाज के लिए ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था.
मृतक रंजीत चौरसिया के परिजनों ने बताया कि रंजीत चौरसिया ने 2 महीने पहले काम शुरू किया था. वह सिलेंडर उतारने का काम करता था. परिवार में पिता रामकिशोर मां प्रेमा एक बहन कामिनी छोटा भाई अंशु है. वहीं इंस्पेक्टर दुबग्गा अनुभव वर्मा ने बताया कि झुलसे रंजीत चौरसिया की इलाज के दौरान मौत हो गई. रंजीत गोदाम में सिलेंडर उतारने का काम करता था. हादसे में झुलसे 5 और लोगों का इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है.
वहीं राजधानी लखनऊ के दुबग्गा के शाहपुर भमरौली इलाके में गैस रिफलिंग के दौरान हुए धमाके के मामले में पुलिस और प्रशासन की टीम लगातार एक्शन में जुटी है. घटना के बाद जागी प्रशासन दोषियों पर शिकंजा कस रही है. डीएम के निर्देश पर पूर्ति विभाग की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया. उसके बाद बाद गैस की अवैध रिफिलिंग करने वाले संचालकों सहित सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. वहीं फरार संचालकों की तलाश जारी है.
पूर्ति निरीक्षक की तहरीर पर एफआईआर
पूर्ति निरीक्षक अशोक कुमार चौरसिया की तहरीर पर गोदाम संचालक अशोक गुप्ता, उसके बेटे रोहित और अंकित गुप्ता के साथ ही विस्फोट में झुलसे मजदूर आदर्श विहार ठाकुरगंज निवासी मोहित गुप्ता, शोभित गुप्ता, सोमनाथ विश्वकर्मा और रंजीत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. इस सभी पर आरोप लगाया गया कि गोदाम में घरेलू और व्यावसायिक सिलिंडर की रिफलिंग कर कालाबाजारी की जा रही थी. पुलिस की गिरफ्त से आरोपी तीनों गोदाम संचालक अब तक दूर हैं.
एसीपी मलिहाबाद के जिम्मे जांच
डीसीपी ने पूरे प्रकरण की जांच एसीपी मलिहाबाद को सौंपी है. डीसीपी का कहना है कि इंस्पेक्टर दुबग्गा और थाने के दूसरे पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जाएगी. इनमें जिनकी भी लापरवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. एसीपी अपनी जांच रिपोर्ट डीसीपी को देंगे.
पूर्ति विभाग की लापरवाही भी उजागर
वहीं इस पूरे घटना में पूर्ति विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही भी उजागर हुई है. बीते छह महीने से गैस की कालाबाजारी हो रही थी, लेकिन विभाग के अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि संचालक का अवैध कारोबार फलता फूलता रहा. पूर्ति विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. वहीं विभाग एफआईआर दर्ज कराकर पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है.
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