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झारखंड में फैलता नशे का कारोबार चिंता का विषय, हाईकोर्ट ने कहा, राज्य और केंद्रीय एजेंसियां चलाएं संयुक्त अभियान, आला अधिकारी बनाए गये प्रतिवादी - Jharkhand High Court

Opium cultivation in Jharkhand. झारखंड में फैलता नशे का कारोबार चिंता का विषय है. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्रीय एजेंसियां संयुक्त रूप से अभियान चलाएं. इस मामले में आला अधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है.

Opium cultivation in Jharkhand
JHARKHAND HIGH COURT

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 19, 2024, 4:59 PM IST

जानकारी देते अधिवक्ता धीरज कुमार

रांची: झारखंड में तमाम कोशिशों के बावजूद नशे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. खूंटी में व्यापक स्तर पर अफीम की खेती मामले में स्वत: संज्ञान से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट ने आज सुनवाई की. हाईकोर्ट ने राज्य के डीजीपी, गृह सचिव, डीजी सीआईडी के अलावा नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिकारी को प्रतिवादी बनाया है.

हाईकोर्ट ने मौखिक तौर पर टिप्पणी की है कि जिस तरह से राज्य में नशे का कारोबार फैल रहा है, वह एक सभ्य समाज के लिए अच्छा नहीं है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसी को संयुक्त रुप से अभियान चलाकर इसको समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने को कहा है. झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई 7 मई को होगी.

माना जाता है कि झारखंड के खूंटी में सबसे पहले अफीम की खेती शुरु हुई थी. इसकी खेती को नक्सली बढ़ावा देते रहे हैं. मोटी कमाई की वजह से इसमें कई कारोबारी भी शामिल होते चले गये. समय के साथ अफीम की खेती का दायरा चतरा, लातेहार, रांची समेत कई जिलों तक फैल गई. हालांकि अफीम की फसल को नष्ट करन के लिए पुलिस के स्तर पर सेटेलाइट ईमेज की भी मदद ली जा रही है.

खेती के मौसम में सैंकड़ों एकड़ जमीन में लगी अफीम की फसल को नष्ट भी किया जाता है. इसके बावजूद चोरी छिपे जंगल और बिहड़ो में इसकी पैदावार हो रही है. इस पूरे कारोबार को नक्सलियों के अलग-अलग संगठनों का सहयोग मिलता है. यहां तैयार हुई अफीम की फसल से अलग-अलग ड्रग्स बनाकर पंजाब समेत कई राज्यों में सप्लाई किए जा रहे हैं. इससे मोटी कमाई होती है. अबतक यह राज्य सप्लाई के लिए जाना जाता था लेकिन पिछले कुछ समय से ब्राउन शुगर की खरीद-बिक्री में शामिल युवाओं के पकड़े जाने के बाद चिंता और ज्यादा बढ़ गई है. लिहाजा, इस गंभीर विषय पर हाईकोर्ट के स्टैंड से एक उम्मीद जगी है.

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