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शिवाला बाजार को बसाने वाले डॉ. बद्री नारायण तिवारी का निधन, आज पूरी कराई जा रही देहदान की प्रक्रिया - डॉ बद्री नारायण तिवारी निधन

कानपुर के डॉ. बद्री नारायण तिवारी का निधन (Dr Badri Narayan Tiwari passes away) हो गया. कई दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी. उन्होंने जीवन भर रामकथा और हिंदी के लिए कार्य किया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 1:52 PM IST

Updated : Feb 9, 2024, 1:58 PM IST

कानपुर : शहर के प्राचीन स्थलों में शामिल शिवाला बाजार को बसाने वाले डॉ. बद्री नारायण तिवारी का गुरुवार को निधन हो गया. वह 89 साल के थे. कई दिनों से वह बीमार चल रहे थे. वह मानस संगम संस्था के संस्थापक भी थे. वह जीवन भर राम कथा से लोगों को जोड़ने का काम करते रहे थे. हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए भी उन्होंने काम किया था. उनके निधन पर साहित्य जगत से लेकर आम लोगों में भी शोक की लहर है.

कांग्रेस से रहा है जुड़ाव, लड़ चुके थे चुनाव :डॉ. बद्री नारायण तिवारी राम और संस्कृति के लिए समर्पित रहे थे. उन्होंने 26 पुस्तकें लिखीं. शिवाला के रहने वाले पंडित शेष नारायण तिवारी के घर बद्री नारायण का जन्म हुआ था. परिवार के जरिए मिले संस्कार से उन्हें राम कथा से खासा लगाव हो गया. साल 1965 में उन्होंने शिवाले में रामकथा की शुरुआत की. इसके चार साल बाद उन्होंने मानस संगम की स्थापना की. देश-विदेश के लोग संस्था से जुड़े हैं. उन्होंने शिवाला बजार भी बसाया. आज भी जब घरों में शादी की तैयारियां हो रही होती हैं, तो लोग यही कहते हैं कि चलो चलकर शिवाला की बाजार कर आते हैं. शिवाला निवासी अभिनव तिवारी ने बताया कि उनके बाबा का पिछले चार-पांच दिनों से इलाज चल रहा था. हर साल मानव संगम संस्था की ओर से शहर में कार्यक्रम किया जाता था. शहर के वरिष्ठ पत्रकार शैलेश अवस्थी ने बताया कि बद्री नारायण तिवारी ने साल 2007 में मेयर का चुनाव भी लड़ा था. उनका हमेशा से जुड़ाव कांग्रेस पार्टी से रहा था. वह इसी दल से ही चुनाव लड़े थे, मगर चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

आज पूरी कराई जाएगी देहदान की प्रक्रिया :शहर में ही बद्रीनारायण तिवारी को लोग याद कर सकें, इसके लिए उनके परिजनों द्वारा उनका देहदान कराया जाएगा. शिवाला निवासी अभिनव तिवारी ने बताया कि बाबा का देहदान जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में होगा. उन्होंने कहा की सभी परिजन चाहते हैं कि बाबा के मृत शरीर पर मेडिकल कॉलेज के छात्र अपने पाठ्यक्रम संबंधी गतिविधियों को लेकर कवायद कर सकें. शहर के सियासी गलियारों से लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने उनके निधन पर शोक जताया है. लोगों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर श्रद्धांजलि अर्पित की है.

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Last Updated : Feb 9, 2024, 1:58 PM IST

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