ऋषिकेश: 7 साल की एक बच्ची के हृदय की धमनियां जन्म से ही असमान्य थी. उम्र बढ़ने लगी तो इस बीमारी के कारण उसके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर प्रभावित होने से बच्ची का जीवन संकट में पड़ गया. ऐसे में एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने उसके हृदय के एट्रियल चैम्बरों को आपस में बदलकर न केवल बच्ची का जीवन लौटाया, बल्कि चिकित्सीय क्षेत्र में ऊंची छलांग भी लगायी है. उत्तराखंड में इस तरह का यह पहला केस है. वहीं बच्ची के स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया है.
यूपी की रहने वाली है बच्ची:यूपी के भंगरोला की रहने वाली 7 वर्षीय बच्ची पिछले एक वर्ष से सांस लेने में दिक्कत से परेशान थी और जन्म से शरीर के नीले रंग से ग्रसित थी. अंतिम उम्मीद लिए बच्ची को लेकर परिजन जब एम्स ऋषिकेश पहुंचे तो विभिन्न जांचों में पता चला कि बच्ची जन्मजात बीमारी हृदय की बड़ी धमनियों के स्थानांतरण (ट्रांसपोजिशन ऑफ ग्रेट आर्टीज-टीजीए) से ग्रसित है. यह एक जन्मजात हृदय रोग है. इसमें हृदय से होकर जाने वाली मुख्य धमनियां विपरीत और गलत स्थानों पर होती हैं.
बच्ची की कराई गई सभी जांचें:सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डाॅ. अनीश गुप्ता ने मरीज की सभी आवश्यक जांचों और परिजनों की सहमति पर बच्ची के हृदय की सर्जरी करने का प्लान तैयार किया. इससे पूर्व कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. भानु दुग्गल एवं डॉ. यश श्रीवास्तव द्वारा बच्ची की इको कार्डियोग्राफी और एंजियोग्राफी की गयी. डाॅ. अनीश गुप्ता ने बताया कि यह बीमारी जानलेवा है और अधिकांश मामलों में इस बीमारी से ग्रसित 90 प्रतिशत बच्चों की जन्म के कुछ दिनों बाद ही मृत्यु हो जाती है.