देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही सख्त भू कानून लागू किए जाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. इसको लेकर लोग आवाज मुखर कर आंदोलन करते भी दिख जाते हैं. उत्तराखंड में भू कानून या जमीन को लेकर बात की जाए तो समय-समय पर कुछ बदलाव किए गए, लेकिन हिमाचल की तर्ज पर सख्त कानून नहीं लाया सका. ऐसे में सीएम धामी ने मजबूत भू कानून लाने की बात कहकर इस पर जोर दे दिया है.
उत्तराखंड में साल 2003 में लागू किया गया था भू कानून अधिनियम: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2003 में तात्कालिक मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने बड़ा कदम उठाते हुए भू कानून अधिनियम को लागू किया था. उस दौरान नगर निगम क्षेत्र से बाहर कृषि भूमि की खरीद के लिए एक लिमिट निर्धारित की थी.
साल 2007 में किया गया बदलाव: जिसके तहत कोई भी व्यक्ति 500 वर्ग मीटर भूमि तक जमीन खरीद सकते थे, लेकिन समय के साथ इस भू कानून को और सख्त करने की मांग चलती आ रही है. जिसके चलते साल 2007 में इसे और सख्त करते हुए कृषि भूमि खरीदने की लिमिट को 250 वर्ग मीटर कर दिया गया.
साल 2018 में हुआ संशोधन: वहीं, साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इस भू कानून में संशोधन कर दिया. उस दौरान एक अध्यादेश लाया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन कर दो और धाराएं जोड़ दी गईं. इन दोनों धाराओं 143 और 154 के तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को ही समाप्त कर दिया गया.
लिहाजा, कोई भी व्यक्ति कभी भी कितनी भी जमीनें खरीद सकता है, लेकिन आवास बनाने के लिए अभी भी कृषि भूमि के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की ही सीमा है. इसके बाद से प्रदेश में भू कानून को लेकर कई प्रदर्शन हुए. वर्तमान में भी सख्त भू कानून लागू करने की मांग ने जोर पकड़ा है. ऐसे में अब धामी सरकार ने प्रदेश में सख्त भू कानून लागू करने का दावा किया है.
एक्शन में धाकड़ धामी
— BJP Uttarakhand (@BJP4UK) September 30, 2024
उन लोगो की शुरू हुई उलटी गिनती, जिन लोगों ने नियम के विरुद्ध जाकर देवभूमि में जमीनें खरीदी हैं#PushkarDhami #DevbhumiUttarakhand pic.twitter.com/GMjnUPMgQI
सीएम धामी ने किया ये दावा: हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस वार्ता कर इस बात को कहा है कि आगामी विधानसभा बजट सत्र के दौरान धामी सरकार सख्त भू कानून लाने जा रही है. उससे पहले,नियमों को ताक पर रखकर नगर निगम क्षेत्र से बाहर जिसने भी 250 वर्ग मीटर जमीन को खरीदा है, उन सभी का विवरण तैयार किया जाएगा.
हमारी सरकार भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर संवेदनशील है। शीघ्र ही प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप एक वृहद भू-कानून लाने के लिए हम प्रयासरत हैं। pic.twitter.com/uLc0eEGKnk
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 27, 2024
इसके साथ ही जिन वजहों से कृषि भूमि को खरीदा गया था, उसके इतर अगर कोई काम किया जा रहा है तो उन लोगों का भी विवरण तैयार किया जाएगा. विवरण तैयार होने के बाद जितने भी ऐसे मामले सामने आएंगे, उन सभी मामलों से संबंधित जमीनों को राज्य सरकार में निहित कर दिया जाएगा.
इन जमीनों का विवरण तैयार करना टेढ़ी खीर: 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद प्रावधानों से इतर खरीदी गई जमीनों का विवरण तैयार करने की बात भले ही उत्तराखंड सरकार ने कही हो, लेकिन ऐसी जमीनों का विवरण तैयार करना राज्य सरकार के लिए एक टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. क्योंकि, ऐसी जमीनों को चिन्हित करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
हालांकि, अगर सरकार इस तरह की जमीनों का विवरण तैयार करने के लिए सरकारी अमलों को जुटाती है तो उसमें भी तमाम समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. जैसे- इन जमीनों का विवरण तैयार करने में सरकारी अमले को काफी ज्यादा समय लग सकता है. इतना ही नहीं, अगर किसी व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम से जमीन खरीदी हो तो ये भी हो सकता है कि उसकी पत्नी ने केयर ऑफ में अपने पिता का नाम लिखवाया हो.
प्रावधानों के विरुद्ध नगर निकाय क्षेत्र से बाहर खरीदी गई जमीन राज्य सरकार में निहित होगी और ऐसा करने वाले व्यक्ति पर सख़्त कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। pic.twitter.com/IQUBQMiJdM
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 27, 2024
एडवोकेट एनके सरीन ने बताई चुनौतियां: इस पूरे मामले पर एडवोकेट एनके सरीन का कहना है कि जमीनों का विवरण तैयार करना या फिर जांच करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि, भू कानून लागू होने के बाद से ही तमाम जमीनों के विवरण ऑनलाइन किए जा चुके हैं, लेकिन बड़ी समस्या यही है कि किस व्यक्ति ने अपने परिवार के नाम से कितनी जमीन खरीदी है, इसका पता लगाना काफी मुश्किल काम है.
ऐसा भी हो सकता है कि किसी व्यक्ति ने जमीन खरीदी हो और फिर उसकी पत्नी ने भी जमीन खरीदी, लेकिन उसके केयर ऑफ में उसके पिता का नाम हो. ऐसे में उसका पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है. ये भी हो सकता है कि किसी ने जमीन परिवार के नाम से खरीदी हो, लेकिन वो जमीन किसी और को बेच दी गई हो.
मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami के भू-कानून की दिशा में लिए गए निर्णय के बाद प्रदेश में अवैध रूप से जमीनों की खरीद फरोख्त करने वालों के विरुद्ध उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कार्रवाई तेज कर दी गई है।
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) September 29, 2024
इस सम्बन्ध में आज वन मंत्री श्री @SubodhUniyal1 ने भू क़ानून को लेकर स्थिति स्पष्ट…
एडवोकेट सरीन ने बताया कि इन सभी का विवरण तैयार करने के लिए न सिर्फ काफी समय लगेगा बल्कि सरकार का काफी खर्च भी इसमें होगा, लेकिन राज्य सरकार ऐसा करके क्या करना चाह रही है, ये अभी राज्य सरकार को खुद ही नहीं पता है. क्योंकि, अगर सरकार तमाम लोगों की जानकारियां एकत्र भी कर लेती है, लेकिन अब अगर उस जमीन का कोई और मालिक बन गया है तो फिर करवाई किस पर की जाएगी?
इससे पता लगाना सरकार के लिए होगा आसान: एडवोकेट एनके सरीन ने बताया कि किसी भी जमीन को जिस उद्देश्य के लिए खरीदा गया था, अगर उसके इतर उस जमीन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा हैस तो उसको ढूंढना राज्य सरकार के लिए काफी आसान होगा. ऐसे में उद्देश्य के इतर जमीन का इस्तेमाल करने वाले शिकंजे में आ सकते हैं.
क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत? वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार 250 वर्ग मीटर कृषि भूमि के प्रावधान के इतर खरीदी गई जमीनों का विवरण तैयार करने की बात कह रही है. जिन लोगों ने भू कानून बनने के बाद जमीनों को खरीद लिया, अब वो जमीन या वो क्षेत्र नगर निकाय क्षेत्र में आ गए हैं. ऐसे में उन जमीनों पर भू कानून काम नहीं करेगा. क्योंकि, भू कानून में यह प्रावधान है कि नगर निकाय क्षेत्र से बाहर की सभी भूमि पर ही अन्य लोगों की ओर से 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने का प्रावधान है. ऐसे में सरकार के लिए ये भी बड़ी चुनौती होगी कि जिन लोगों ने खुद और अपने परिवार के नाम पर पहले जमीन खरीदी और अब वो जमीन नगर निकाय क्षेत्र में आ गई है तो फिर उन पर सरकार का क्या स्टैंड रहेगा?
जमीन खरीदने के बाद वक्त लैंड यूज की जानकारी नहीं बदली जा सकती: वहीं, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि कई बार सरकार जनहित और जन सरोकारों को देखते हुए अपने ही बनाए हुए कानून में संशोधन करती है. लिहाजा, उत्तराखंड सरकार भू कानून में एक बड़ा संशोधन करने जा रही है. भू कानून में ये प्रावधान है कि जिस यूज के लिए जमीन खरीदी गई है, उसके दो साल के भीतर उससे संबंधित निर्माण कार्य हो जाना चाहिए.
इसके साथ ही जमीन खरीदते वक्त जो लैंड यूज बताया गया था, उसको कभी भी नहीं बदला जा सकता है. अगर कोई बताए गए लैंड यूज के इतर लैंड का इस्तेमाल कर रहा है तो उन जमीनों को राज्य सरकार में निहित किया जाएगा. इसी तरह 250 वर्ग मीटर की भूमि एक ही नाम से कई बार या फिर फैमिली के नाम से ली गई है तो उन जमीनों को भी सरकार में निहित किया जाएगा.
ये भी पढ़ें-
- भू माफिया की 'नो एंट्री' के लिए धामी सरकार ला रही है सख्त कानून, अब जमीन खरीदने के होंगे ये नियम
- उत्तराखंड में 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद में धोखाधड़ी का शक, सीएम धामी ने दिए जांच के आदेश, होगी सख्त कार्रवाई
- उत्तराखंड के भू कानून में संशोधन को तैयार सरकार, अवैध रूप से खरीदी गई जमीनें होगी जब्त
- भू कानून पर पूर्व सीएम निशंक का बयान, हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में लैंड लॉ के पक्षधर
- अल्मोड़ा के इस गांव में लोगों ने बनाया अपना भू-कानून, बाहरी व्यक्तियों को जमीन बेचने पर लगाया प्रतिबंध
- मूल निवास 1950 और भू कानून को लेकर ऋषिकेश में महारैली, हजारों की संख्या में पहुंचे लोग
- उत्तराखंड में मूल निवास Vs स्थायी निवास की बहस, जानिए आजादी से लेकर अब तक की सिलसिलेवार कहानी