सरगुजा : डॉ. योगेश्वर न्यूरोलॉजी के विशेषज्ञ हैं. डॉ योगेश्वर किसी भी बड़े शहर के बड़े हॉस्पिटल में बड़े पैकेज पर काम कर सकते थे. लेकिन उन्होंने आदिवासी अंचल में काम करना उचित समझा. आज वो संगवारी के तहत गांव में सेवा देने वाले चिकित्सकों में शामिल हैं. एक तरफ सरगुजा में न्यूरो फिजिशियन लाना सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है. सरकारी वेतन पर कोई न्यूरो फीजिशियन रिमोट एरिया में आना नही चाहता है, दूसरी तरफ इनके जैसे डाक्टर ग्रामीणों के बीच जाकर सेवा दे रहे हैं.
कौन हैं डॉक्टर योगेश्वर ? :डॉ. योगेश्वर काल्कोंडे महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. वो बीते तीन वर्षों से सरगुजा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. आदिवासी अंचल में ये बीते 13 वर्ष से काम कर रहे हैं.डॉक्टर योगेश्वर ने 10 वर्ष तक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आदिवासियों और ग्रामीणों के बीच काम किया है.बीते तीन वर्ष से वे सरगुजा अंचल के आदिवासियों के बीच रहकर सेवाएं दे रहे हैं. खास बात ये भी है कि उन्हें पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना काल में सरगुजा लाया था. इस दौरान डॉ. काल्कोंडे और उनकी टीम ने मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों की सेवाएं दी. लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद भी उन्होंने सरगुजा नहीं छोड़ा. यहां की जरूरतों को समझते हुए आज भी आदिवासी अंचलों में काम कर रहे हैं.
कहां काम कर रही है काल्कोंडे की टीम :न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. योगेश्वर काल्कोंडे की टीम वर्तमान में सरगुजा जिले के लखनपुर के गांव अमगसी, उदयपुर से लगे गांव अरगोती और मैनपाट के गांव कुनिया में विशेष रूप से काम कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने आसपास के लगभग 40 गांव में आदिवासियों के बीच काम किया है. डॉक्टर काल्कोंडे की टीम इन तीन वर्षों में 80 हजार लोगों तक पहुंची है और उनकी कठिनाइयों और परेशानियों को ध्यान में रखकर निःशुल्क और मात्र 5 रुपए के पंजीयन शुल्क पर काम किया है.
काल्कोंडे की टीम में विशेषज्ञ डॉक्टर :काल्कोंडे की टीम में और भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. जो अलग-अलग बीमारियों के विशेषज्ञ हैं. इनमें सरगुजा जिले में चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. योगेश जैन हैं. जो 25 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे है, एमडी फैमिली फिजिशियन डॉ. नेहा काले, पेन स्पेशलिस्ट डॉ. शिल्पा खन्ना, मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. चैतन्य मलिक, एमडी फैमिली फिजिशियन डॉ. धीरज देशमुख, डॉ. अभिजीत गादेवार, डॉ. अश्विनी महाजन शामिल हैं. जो लगातार तीन वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
डॉ. योगेश्वर काल्कोंडे ने बताया कि " बीमारी को लेकर एक आम धारणा थी कि पेड़ पौधे, साफ हवाओं, जंगल पहाड़ों के कारण ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बीमारियां कम होती है. लेकिन वर्तमान समय में यह बातें बिल्कुल गलत साबित हो रही हैं. जब हम ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचे तो पता चला कि बड़ी संख्या में गैर संचारी रोगों के मरीज यहां भी सामने आ रहे हैं. अब तक आदिवासी क्षेत्रों में किए गए काम के दौरान सबसे अधिक मरीज बीपी, शुगर, लकवा, कुपोषण, सिकल सेल, मिर्गी, टीबी, वात, हृदय रोग सहित अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज सामने आ रहे हैं.
गरीबों के मसीहा योगेश्वर काल्कोंडे, लाखों का पैकेज छोड़कर गांव में कर रहे गरीबों की सेवा - Doctors Day 2024
Doctors Day 2024 भारत में अब भी यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लागू नही हो सकी है, यहां स्वास्थ्य का अधिकार जैसा कोई कानून नहीं है. कई बीमारियों के इलाज इतने महंगे हैं कि लोगों का सब कुछ बिक जाता है. बड़े शहरों के बड़े अस्पतालों में किसी फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाओ के बीच उतनी ही मोटी रकम अदा करने पर इलाज होता है.जबकि गरीब लोग इतना महंगा इलाज कराने में असमर्थ होते हैं. कई बार जागरूकता के अभाव में भी लोग इलाज नहीं करा पाते हैं. ये समस्या ज्यादातर सरगुजा जैसे आदिवासी इलाकों में होती है. लेकिन कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो बड़े शहरों में रहकर कमाई ना कर के, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे ही एक न्यूरो फीजिशियन हैं डॉ. योगेश्वर काल्कोंडे, डॉक्टर्स डे पर हम आपको इनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे है.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jul 1, 2024, 4:30 PM IST
'' इन मरीजों का उपचार हमारी टीम कर रही है. जरुरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर, रायपुर और अन्य उच्च संस्थानों में भी भेजा जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के साथ ही इस क्षेत्र के डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सरकार को सुझाव भी हमारी ओर से दिया जाता है"- डॉ. योगेश्वर काल्कोंडे
पैसों की कमी से कोई इलाज से ना रहे महरूम :डॉ. योगेश का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के साथ जागरूकता की भी बहुत कमी है. ये दोनों ही सबसे बड़ी समस्या हैं. पैसों और संसाधनों की कमी के कारण दूरस्थ क्षेत्र के मरीजों को उपचार समेत अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है. बड़े शहरों में तो सभी काम कर रहे है और लोगों को आसानी से उपचार मिल जाता है.लेकिन ग्रामीण क्षेत्र हमारी जरुरत ज्यादा है. इसलिए मैंने तय तय किया कि ग्रामीण क्षेत्र में हम काम करेंगे. हमारा मिशन है कि पैसों की कमी और जागरूकता के अभाव में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित ना रह जाए. अभी भी इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर काम करने की जरूरत है.