कोरिया : कोरिया रियासत के प्रसिद्ध शासक राजा रामानुज प्रताप सिंह देव का नाम इतिहास में अमर है. उनके शासनकाल में ना केवल कोरिया क्षेत्र की समृद्धि बढ़ी, बल्कि इस क्षेत्र का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी ऊंचा हुआ. राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव की एक ऐसी चमत्कारी कहानी है जो आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है. यह कहानी जुड़ी है सिरौली स्थित हनुमान मंदिर से. जो हसदेव नदी के किनारे स्थित है.ये मंदिर अपनी दक्षिणमुखी हनुमान जी की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है.
स्वयंभू है हनुमान की मूर्ति : सिरौली हनुमान मंदिर अपने आप में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है.यहां हनुमान जी की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है. जिसे पृथ्वी से प्रकट हुआ माना जाता है. इस मंदिर में क्षेत्रीय के अलावा दूर दराज से भी लोग पूजा करने के लिए आते हैं. किंवदंती के अनुसार, हनुमान जी ने इस स्थान पर तपस्या की थी इसके बाद उनकी प्रकट मूर्ति यहां प्रकट हुई.इसलिए इस मूर्ति के सामने जो भी कोई मनोकामना मांगता है,वो पूरी होती है. मूर्ति के पूजन मात्र से लोगों की दरिद्रता समाप्त हो जाती है. सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
क्या है चमत्कारिक कथा : राजा रामानुज प्रताप सिंह देव के जीवन में भी इस मंदिर का अहम स्थान था. कहा जाता है कि वो शिकार के लिए इस क्षेत्र में आते थे. इस दौरान वो जंगलों के बीच हनुमान जी की मूर्ति का दर्शन करने जरूर आते थे. राजा की निजी समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने कई बार इस स्थान पर पूजा अर्चना की थी. एक दिन, जब राजा ने देखा कि हनुमान जी की मूर्ति खुले आसमान के नीचे रखी है, तो उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि इसे सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया जाए.
मूर्ति के साथ हुई चमकारिक घटना : राजा ने यहां खुदाई शुरू करवाई. लेकिन ऐसा चमत्कार हुआ कि जब श्रमिकों ने मूर्ति को निकालने का प्रयास किया, तो अचानक से घटनाएं घटने लगीं.
श्रमिकों ने मूर्ति के पैर के पास खुदाई की और देखा कि मूर्ति से रक्त बह रहा था, जो कि एक चमत्कारी घटना थी.यह देख श्रमिक भयभीत हो गए, और उन्होंने राजा को इस बारे में सूचित किया.इस चमत्कारी घटना के बाद राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने यहां खुदाई रुकवा दी और रात को एक सपना देखा, जिसमें हनुमान जी ने उन्हें आदेश दिया कि इस स्थान पर मंदिर निर्माण किया जाए. राजा ने अपने महल लौटने के बाद इस स्थान पर एक सुंदर मंदिर बनवाने का निर्णय लिया और इसके साथ ही पुजारी नियुक्त किए.उन्हें आसपास के क्षेत्र में रहने की अनुमति भी दी गई ताकि वे हनुमान जी की पूजा अर्चना कर सकें- रामकृष्ण,पुजारी
श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र : आज भी ये स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख पूजा स्थल बना हुआ है.दक्षिणमुखी हनुमान जी की मूर्ति की पूजा करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. स्थानीय निवासी पुष्पेंद्र तिवारी के मुताबिक उन्हें इस मंदिर के बारे में सुनकर बहुत समय से इच्छा थी कि वे यहां दर्शन करने आएं, और जब वे आए तो उन्हें बहुत अच्छा अनुभव हुआ. वहीं, महिला श्रद्धालु किरण यादव कहती हैं कि वह हर शनिवार और मंगलवार को इस मंदिर में पूजा करने आती हैं, और उनकी सभी मन्नतें पूरी हुई हैं.
मंदिर का वातावरण है खूबसूरत : हनुमान मंदिर का दृश्य भी किसी प्राकृतिक सौंदर्य से कम नहीं है. हसदेव नदी के किनारे बसे इस मंदिर का वातावरण शाम होते-होते एक शांत और शिमला जैसा दृश्य प्रस्तुत करता है. लोग यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं और नदी के किनारे समय बिताते हुए मंदिर में दर्शन करने आते हैं. यह स्थान धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है, जहां भक्तों की श्रद्धा और विश्वास की भावना हर दिन बढ़ती जा रही है.
कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव और सिरौली हनुमान मंदिर की यह चमत्कारी कहानी आज भी लोगों के दिलों में ताजगी बनाए हुए है.यह कहानी न केवल राजा की आस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे आस्था और विश्वास के साथ हर कठिनाई का समाधान संभव है. सिरौली हनुमान मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल धरोहर बन चुका है.