रुद्रप्रयाग: दीपावली के शुभ अवसर पर अगस्त्यमुनि स्थित भगवान मुनि महाराज के मंदिर में राजा बलिराज पूजन का आयोजन विधि-विधान से संपन्न हुआ. भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की यह पूजा केदारखंड में केवल महर्षि अगस्त्य मंंदिर में ही की जाती है, इसलिए क्षेत्र की जनता में इसका बड़ा धार्मिक महत्व है. यह सभी भक्तों का सामूहिक रूप में दीपावली मनाने का अद्भुत नजारा भी होता है. इस अवसर पर मुनि महाराज के मंदिर को लगभग एक हजार दीयों से सजाया गया. भक्तों ने पूजा-अर्चना की और क्षेत्र एवं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.
सैकड़ों दीयों से जमगग होता है महर्षि अगस्त्य मंंदिर:अगस्त्य मंदिर के मठाधीश पंडित योगेश बैंजवाल ने बताया कि राजा बलिराज पूजन की यह प्रथा यहां सदियों से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में पुजारी भक्तों के साथ भगवान विष्णु को मध्यस्थ रखकर चावल और धान से राजा बलि राज का घोड़ा, उसके ऊपर राजा बलि राज और उनके सामने दैत्यों के राज गुरु शुक्राचार्य, जिनके एक हाथ में कमंडल दूसरे और हाथ से राजा बलि राज को सावधान करते हुए की मुद्रा की आकृति बनाई जाती है, जिसको भक्तों द्वारा घरों से लाए सैकड़ों दीयों से सजाया जाता है.
पलायन का असर इस धार्मिक आयोजन पर दिखा: पुजारी पंडित सुनील बेंजवाल ने बताया कि पूर्ण विधि-विधान से भगवान वामन जी का पूजन और मुनि महाराज की आरती की जाती है. आरती के साथ दीपोत्सव प्रारंभ होता है, जिसके साक्षी सैकड़ों की संख्या में उपस्थित भक्तजन होते हैं. उन्होंने कहा कि पहले इस अवसर पर निकटवर्ती गांवों से ग्रामीण भारी संख्या में मंदिर परिसर में भैलो खेलने आते थे और सामूहिक रूप से दीपावली मनाते थे, लेकिन दीपावली का स्वरूप बदलने लगा और अब यह संख्या कुछ सौ तक ही सीमित रह गई है.