रोहतास: अब आपको बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर खबरदार करते हैं. जिस बिहार में नीतीश कुमार लगातार ये कहते हैं कि राज्य की स्थिति बदल गई है. जिस स्वास्थ्य विभाग पर बजट का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा खर्च होता है. उसी बिहार में हेल्थ सिस्टम में कोई सुधार होता दिख नहीं रहा. तभी तो सासाराम सदर अस्पताल में दिव्यांग गर्भवती महिला को सीढ़ियों के सहारे रेंगकर अल्ट्रासाउंड केंद्र पहुंचने को मजबूर हो गई.
दिव्यांग गर्भवती महिला को नहीं मिला व्हील चेयर: सदर अस्पताल में इलाज की तो बात ही छोड़ दीजिए. महिला को व्हील चेयर तक नहीं मिला. इतना ही नहीं दुर्भाग्य की बात की सदर अस्पताल में इन दिनों अल्ट्रासाउंड सेवा भी बंद है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी हो रही है.
"कई किलोमीटर का सफर तय कर सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने पहुची थी, लेकिन बंद होने के कारण वह वापस घर जा रही है. अस्पताल की ओर से व्हील चेयर तक मुहैया नहीं कराया गया."-गुला कुमारी, दिव्यांग गर्भवती
सीढ़ियों के सहारे रेंगकर पहुंची: दुर्भाग्य की बात यह है कि जब खराड़ी गांव से पहुंची हीरालाल राम की पत्नी गर्भवती महिला गुला कुमारी हाथ के सहारे रेंगते हुए सीढ़ियों पर चढ़ते वह अल्ट्रासाउंड केंद्र तक पहुंची तो अल्ट्रासाउंड कक्ष भी बंद पाई. ऐसे में किसी तरह महिला रेंगते हुए फिर बैरंग वापस घर चली गई.अस्पताल के सीएस दलील दे रहे हैं कि अल्ट्रासाउंड के स्पेशलिस्ट डॉक्टर के कमी के कारण अल्ट्रासाउंड सेवा संचालन में दिक्कत हो रही है.
"कई किलोमीटर का सफर तय कर सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने पहुची थी, लेकिन बंद होने के कारण वह वापस घर जा रही है. अस्पताल की ओर से व्हील चेयर तक मुहैया नहीं कराया गया."-गुला कुमारी, दिव्यांग गर्भवती