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बारिश न होने से नहीं कर पाए हैं गेहूं-आलू की बिजाई? तो करें इन किस्मों की बुआई

हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसके जरिए किसान लाभ उठा सकते हैं.

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 2 hours ago

सिरमौर: पिछले काफी समय से बारिश न होने से ड्राई स्पेल बढ़ रहा है. किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं. इसी बीच दिसम्बर माह के पहले पखवाड़े में किए जाने वाले कृषि से संबंधित कार्यों को लेकर चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसे अपनाकर प्रदेश सहित जिला सिरमौर के किसान भी लाभ उठा सकते हैं.

विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद शर्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि,'सिंचित क्षेत्रों या बारानी (वर्षा आधारित) क्षेत्रों में जहां गेहूं की बुआई न की गई हो, वहां वर्षा होने पर बारानी क्षेत्रों या सिंचाई करके सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की पछेती किस्में एचपी डब्ल्यू.373, एचएस-490 और वीएल-892 लगाएं. इन क्षेत्रों में एचडी-3086 की बिजाई भी की जा सकती है. बीज की मात्रा 10 किलोग्राम प्रति बीघा और बिजाई 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें. अच्छी उपज लेने के लिए बिजाई के समय मिश्रित खाद इफको 12:32:16 की मात्रा 10 किलोग्राम प्लस 4 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा अवश्य डालें.'

35 दिन पहले गेहूं की बुआई करने वाले ये काम करें

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि, 'जहां गेहूं की बुआई 30-35 दिन पहले की गई हो और खरपतवारों पर 2-3 पत्तियां आ गई हैं, तो इस अवस्था में गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनों का छिड़काव करें. दोनों प्रकार के खरपतवार नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरान मिथाईल 20 डब्ल्यू.पी. क्लोडिनाफाप प्रोपार्जिल 15 डब्ल्यू.पी.) 32 ग्राम प्रति 60 लीटर पानी प्रति बीघा के हिसाब से खेतों में छिड़काव करें. केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए 2, 4-डी की 100 ग्राम मात्रा 60 लीटर पानी में घोलकर एक बीघा में छिड़काव करें.'

दलहनी एवं तिलहनी फसलें

डॉ. विनोद और डॉ. मित्तल ने बताया कि दलहनी एवं तिलहनी फसलों में अगर खरपतवार नियंत्रण रसायनों का प्रयोग न किया गया हो, तो इस समय इन फसलों में निराई गुड़ाई करें. दलहनों और तिलहनों की गेहूं के साथ मिश्रित खेती भी की जा सकती है.

ऐसे करें प्याज की बुआई, सब्जियों की करें निराई-गुड़ाई

प्रदेश के निचले एवं मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की तैयार पौध की रोपाई 15-20 सेंटीमीटर पंक्तियों और 5-7 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर करें. रोपाई के समय 10-15 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 19 किलोग्राम इफको 12:32:16 मिश्रण खाद प्रति बीघा खेतों में डालें. इसके अलावा खेतों में लगी सभी प्रकार की सब्जियों फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, गांठगोभी, पालक, मेथी, मटर, लहसुन इत्यादि में निराई-गुड़ाई करें.

आलू की इन किस्मों का करें चयन, ये भी रखें ध्यान

आलू की बिजाई के लिए उन्नत किस्मों जैसे कुफरी ज्योति, कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरीराज व कुफरी चन्द्रमुखी इत्यादि का चयन करें. बिजाई के लिए स्वस्थ, रोग रहित साबुत या कटे हुए कंद वजन लगभग 30 ग्राम और 2-3 आखें प्रति आलू के टुकड़ों में हो, का प्रयोग करें. आलू के लिए बीज की मात्रा 2 क्विंटल प्रति बीघा रखें. बिजाई से पहले कंदों को इंडोफिल एम-45 की 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक भिगोने के उपरांत छाया में सुखाकर बिजाई करें. दवाई का एक बार बनाया हुआ घोल तीन बार तक प्रयोग में लाया जा सकता है. आलू की बिजाई तैयार खेत में 15-20 सेंटीमीटर आलू से आलू और 45-60 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर मेढ़े बनाकर की जा सकती है. बिजाई के समय 8-10 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 20 किलोग्राम इफको 12:32:16 मिश्रण खाद और 5 किलोग्राम यूरिया खाद प्रति बीघा खेत में डालें. खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामेक्सॅान या पैराक्वेट 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आलू के 5 प्रतिशत अंकुरण होने तक छिड़काव करें.

फसलों का ऐसे किया जा सकता है संरक्षण

डॉ. विनोद और डॉ. मित्तल ने बताया कि,'जिन किसानों ने अभी गेहूं की बिजाई करनी है, वे गेहूं के बीज को बेविस्टीन 2.5 ग्राम अथवा रैक्सिल 1.0 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करने के बाद गेहूं की बिजाई करें. बीज का उपचार करने से गेहूं की खुली कांगियरी और हिल बंट आदि रोगों से बचाव होता है. जिन क्षेत्रों में दीमक की समस्या हो, वहां पर 2 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी को 25 किलोगग्राम रेत में मिला कर प्रति हैक्टेयर की दर से शाम को बिजाई के समय खेत में बिखेर दें.'

कीटों की रोकथाम करें

गोभी प्रजाति की सब्जियों की पौध की रोपाई करने से पहले भूमि के अंदर रहने वाले कीटों जैसे कटुआ, सफेद सुंडी व लाल चींटी आदि की रोकथाम के लिए रोपाई के समय 2 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी को 25 किलोग्राम रेत में मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से क्यारियों में डालें. पौध को कमरतोड़ व जड़ गलन रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45, 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी और बैवस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के मिश्रित घोल से क्यारियों को सींचे. गोभी व अन्य सब्जियों में तेले के नियंत्रण के लिए रोगर या डायमेथोएट व पत्ते खाने वाली सुंडियों के नियंत्रण के लिए मैलाथियान नामक दवाई 1 मिली लीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.

अधिक जानकारी के लिए यहां करें सम्पर्क

डॉ. विनोद और डॉ. मित्तल ने किसानों से आह्वान किया कि, अपने क्षेत्रों की भौगोलिक और पर्यावरण परिस्थितियों के अनुसार अधिक एवं अतिविशिष्ठ जानकारी के लिए नजदीक के कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क बनाए रखें और इससे अधिक जानकारी के लिए कृषि तकनीकी सूचना केन्द्र एटिक 01894-230395, 1800-180-1551 से भी सम्पर्क कर सकते हैं.

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