इंदौर। धार की भोजशाला में एएसआई द्वारा पिछले डेढ़ महीने किए गए सर्वे में जैन समाज से जुड़ी मूर्तियां भी निकली हैं. इन मूर्तियों के आधार पर जैन समाज ने इस भोजशाला पर अपना दावा पेश किया है. जैन समाज ने हाइकोर्ट में दायर याचिका में भोनशाला की जगह पर जैन गुरुकुल होने की बात कही है और खुदाई में मिली मूर्तियों को जैन धर्म की मूर्तियां बताया है. इंदौर हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार ली है. अब 4 जुलाई को इस पर में सुनवाई होगी.
हाइकोर्ट में दायर की याचिका
हाइकोर्ट के आदेश पर धार की भोजशाला पर डेढ़ महीने तक भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) का सर्वे हुआ. खुदाई कर भोजशाला की पुरानी बनावट, निर्माण शैली और धार्मिक चिन्हों की जानकारी जुटाई गई. अब जैन समाज ने इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें दावा किया गया है कि खुदाई में जैन समाज से जुड़ी मूर्तियां मिली हैं. मूर्तियां जैन देवी-देवता और तीर्थकर की हैं. दायर याचिका में सुनवाई के दौरान जैन समाज से दो प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की गई है. इसके अलावा खुदाई में मिली मूर्तियों को जैन समाज को सौंप देने की मांग उठाई है.
जैन समाज ने मुर्तियों के आधार पर ठोका दावा
जैन समाज की तरफ से याचिका अधिवक्ता पीके शुक्ला और आशुतोष शुक्ला ने दायर की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि, ''भोजशाला में जैन समाज से संबंधित अंबिका देवी की मुर्ती मिली है. वहीं एक शिलालेख के जरिए जैन गुरुकुल होने के प्रमाण भी मिले हैं. कई देशी-विदेशी वरिष्ठ लेखकों ने अपनी पुस्तकों में सनातन और जैन समाज की देवी-देवताओं की मूर्तियों की आकृति के बारे में बताया है. जिसमें कहा गया है कि, कई बार हिंदू और जैन समाज के देवी-देवताओं की मूर्तियां एक जैसी होती है, उनमें अंतर कर पाना आसान नहीं होता है. इससे यह कहा जा सकता है कि जिस मूर्ति को सरस्वती देवी की मूर्ति बताया जा रहा है वह जैन समाज की देवी की भी मूर्ति हो सकती है.''