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जुगाड़ की नाव में स्कूल जाने की शर्त, देवास में मौत को चैंलेज कर भविष्य संवार रहे बच्चे? - Dewas Students Jugaad Boat - DEWAS STUDENTS JUGAAD BOAT

देवास के हिराली गांव के बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर जुगाड़ की नाव से नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है. बच्चों ने अपना भविष्य संवारने के लिए इस चैंलेज को भी स्वीकर कर लिया है.

DEWAS CHILD CROSS RIVER GO SCHOOL
शिप्रा नदी को पार करके जाना पड़ता है स्कूल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 6:37 PM IST

Updated : Jul 24, 2024, 7:34 PM IST

देवास: सरकार जहां शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के दावे करती है वहीं इसके उलट देवास से स्कूली बच्चों की तस्वीर समाने आई है. यहां नदी पर पुल नहीं होने के कारण बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर जुगाड़ की नाव से नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है. छोटे-छोटे बच्चे रोज अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं. बच्चे नदी पार करते हुए रोज कीचड़ में सन जाते हैं. उनके कपड़े, किताबें तक भीग जाते हैं. नदी पर पुल नहीं होने के कारण सैकड़ों बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है. बाकि बच्चे जैसे-तैसे अपना भविष्य सवांरने के लिए अपना जीवन जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं.

नदी पार करके स्कूल जाते बच्चे (ETV Bharat)

स्कूल और गांव के बीच में पड़ती है शिप्रा नदी

मासूम बच्चों को नदी पार करके स्कूल जाने का मामला देवास की सीमा पर एक छोटे से गांव हिराली का है. करीब एक हजार की आबादी वाले हिराली गांव में एक प्राथमिक स्कूल है. ऐसे में पांचवी के आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को सिमरोल गांव के जूनियर स्कूल और मिडिल स्कूल जाना पड़ता है. हिराली गांव और सिमरोल गांव के बीच शिप्रा नदी बहती है. शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य बनाने के लिए आतुर इन बच्चों के लक्ष्य के आगे उफान मारती नदी का डर कम पड़ जाता है. लेकिन बच्चे अपना भविष्य बनाने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाकर ड्रम से बनी जुगाड़ की नाव पर बैठकर नदी पार कर स्कूल जाते हैं. नदी पार करने के दौरान उनकी जान मुश्किल में रहती है.

भविष्य संवारने के लिए जोखिम में डालते हैं जान

हिराली गांव में प्राइमरी स्कूल के अलावा कोई जूनियर हाईस्कूल नहीं है. इस गांव से 10-15 किलोमीटर दूर एक स्कूल है, लेकिन दूरी अधिक होने के कारण बच्चों को नदी पार करने का जोखिम उठाना पड़ता है. नदी के बहाव के कारण जुगाड़ की नाव के पलटने का डर भी बना रहता है, लेकिन उन्हें फिर भी स्कूल जाना पड़ता है. गांव वालों ने बताया कि, '150 से अधिक बच्चे ने नदी पार करने की मुसीबत की वजह से स्कूल ही छोड़ दिया. अब वह या तो 10-15 किलोमीटर दूर वाले स्कूल में पढ़ने जाते हैं या तो अपना मन मारकर घर बैठ गए हैं.'

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प्रशासन ने सुध ली, पुल का काम शुरु

कई सालों से बच्चे इसी तरह से नदी पार करके स्कूल जाते हैं. बरसात के सीजन में जब नदी पूरे उफान पर रहती है तो नौनिहाल स्कूल नहीं जा पाते हैं. कई बार तो नदी में पानी छोड़े जाने की वजह से बच्चे स्कूल में ही फंस चुके हैं. हिरली गांव निवासी खलील ने बताया कि, 'यह गांव देवास जिले का आखिरी गांव है जिस वजह से जिला प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं देता. हालांकि, प्रशासन ने इस मामले पर अब ध्यान दिया है और नदी पर पुल का काम शुरु हुआ है. लेकिन काम काफी धीमा होने की वजह से पुल बनने में देरी हो रही है. जब तक पुल नहीं बन जाता तब तक बच्चों को ऐसे ही स्कूल जाना पड़ेगा.'

कलेक्टर ने जनवरी, 2025 में पुल बन जाने की बात कही (ETV Bharat)

'जनवरी, 2025 तक हो जाएगा पुल का निर्माण'

ईटीवी भारत ने इस मामले को लेकर देवास के कलेक्टर से बात की. देवास कलेक्टर ऋषव गुप्‍ता ने बताया कि,'इस मामले को लेकर एक इस्टिमेट बनाया गया था जिसकी मंजूरी दो साल पहले हो गई थी. पुल निर्माण की शुरूआत मार्च, 2023 में ही हो गई थी. यह पुल 90 मीटर लंबा है जो ब्रिज कार्पोरेशन के द्वारा बनाया जा रहा है. जनवरी 2025 तक यह काम पूरा करना है. यह काम ठीक गति से चल रहा है और मुझे पूरा यकीन है कि पुल का निर्माण तय समय पर कर लिया जाएगा. जिसके बाद इस समस्या का परमानेंट समाधान हो जाएगा.'

Last Updated : Jul 24, 2024, 7:34 PM IST

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