नई दिल्ली: आनंद विहार दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका बना हुआ है. बड़ी संख्या में आनंद विहार और कौशांबी डिपो से डीजल बसें चलती हैं, जो प्रदूषण की बड़ी वजह हैं. तमाम पाबंदियों के बाद आनंद विहार इंटरस्टेट बस टर्मिनल से बीएस 3 और बीएस 4 बसों का संचालन नहीं हो रहा है. लेकिन आनंद विहार के सामने गाजियाबाद की कौशांबी डिपो से बीएस 3 और बीएस 4 बसों का संचालन होता है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को कौशांबी से सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चलाने का आदेश दिया था लेकिन आज तक यह आदेश पूरी तरीके से लागू नहीं हो सका है.
आनंद विहार के सामने गाजियाबाद का कौशांबी इलाका है जहां पर बड़ी संख्या में बहुमंजिला इमारतें हैं और हजारों लोग यहां रहते हैं. आनंद विहार में होने वाले वायु प्रदूषण से यहां के लोग सालों से बेहद परेशान हैं. कौशांबी अपार्टमेंट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (कारवा) की ओर से प्रदूषण के मुद्दे पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल( एनजीटी) में वर्ष 2019 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. एनजीटी ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे. उन निर्देशों का पालन न करने पर कारवा की और से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस दायर किया गया.
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कारवा के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार मित्तल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए यूपीएसआरटीसी को यह आदेश दिया था कि 16 जून 2022 तक एनसीआर में सिर्फ सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसें ही चलाएं, लेकिन अभी भी यूपीएसआरटीसी की तरफ से डीजल बेसन का संचालन किया जा रहा है. जो बसें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कौशांबी डिपो पर आती हैं उनमें बड़ी संख्या में बीएस 3 और बीएस 4 बसें भी होती हैं, जो ज्यादा प्रदूषण फैलाती है. शनिवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री और रविवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री ने आनंद विहार डिपो का निरीक्षण किया था क्योंकि दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषण आनंद विहार में है. उन्होंने दावा किया था कि आनंद विहार में प्रदूषण का प्रमुख कारण यूपीएसआरटीसी द्वारा चलाई जा रही डीजल बसें हैं.