नई दिल्लीः दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में रहने वाला शंकर, एक अफ्रीकी हाथी, पिछले कई वर्षों से अकेलेपन के दर्द को झेल रहा है. उसकी स्थिति न केवल चिंता का विषय है, बल्कि यह हाथियों की सामाजिक संरचना के बारे में भी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है. अकेले रहने के कारण शंकर में तनाव और उग्रता बढ़ गई है, जो खास तौर पर तब बढ़ जाती है जब वह हीट अवस्था में आता है.
जंजीर से मुक्ति और नई सुविधाएं:हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय संस्था "वाज" द्वारा दिल्ली जू की सदस्यता समाप्त कर दिए जाने के बाद, शंकर को जंजीरों से मुक्ति मिली है. इस अवसर पर, उसके बाड़े को पुनर्विकसित किया गया है, जिसमें ऐसा उपकरण और खिलौने जोड़े गए हैं, जिनसे वह खुद को व्यस्त रख सके. शंकर के बाड़े में अब टायर, दर्पण, फीडिंग रोलर और लकड़ी की गेंद जैसी चीजें हैं. इसके अलावा, उसके बाड़े में जिम, पावर फेंसिंग और रबड़ मैट जैसे सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं, जो उसकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं.
शंकर का इतिहास:शंकर का जन्म 1998 में उस समय हुआ था जब अफ्रीकी जिम्बाब्वे से कुछ हाथियों को दिल्ली जू लाया गया था. उस समय वह एक फीमेल हाथी की कंपनी में था, जिसका अचानक 2002 में निधन हो गया. उसके बाद से शंकर अकेलेपन से जूझ रहा है. यह अकेलापन न केवल उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि कई बार उसकी उग्रता का कारण भी बन चुका है. शंकर ने बाड़े की दीवारें तोड़ी हैं और महावतों पर हमले किए हैं, जिसके चलते उसे जंजीरों में बांधने की नौबत आई.