नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर 7600 से अधिक बसें चल रही हैं. इन बसों को दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी), दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (डिम्ट्स), टाटा और जेवीएम कंपनी की ओर से चालकों से चलवाया जा रहा है. दिल्ली में 16 हजार से अधिक चालक इन बसों को चलाते हैं. आए दिन सड़क हादसे हो रहे है, जिसमें यात्रियों की मौत तक हो जा रही है. एक चालक एक से अधिक कंपनी में बसें चला रहे हैं. ऐसी शिकायत डीटीसी को मिली है, जिससे चालकों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है. परिवहन विभाग के पास अभी यह पता लगाने का कोई सिस्टम नहीं है कि कितने चालक एक से अधिक कंपनी के साथ जुड़कर बसें चला रहे हैं. ऐसे चालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही हैं.
बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था: डीटीसी के ऑपरेशन मैनेजर एके राव ने बताया कि अभी चालकों की मैनुअल अटेंडेंस लगती है. डीडीए के पास सरकारी चालक हैं, डिम्ट्स की सीएनजी बसें सविंदा चालक चलाते हैं. इलेक्ट्रिक बसें टाटा और जेबीएम कंपनी बना रही हैं. इन बसों का संचालन बनाने वाली कंपनी की तरफ से कराया जा रहा है. अभी ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिससे पता लगाया जा सके के एक चालक एक से अधिक जगह पर बस तो नहीं चला रहा है. अब डीटीसी की ओर से बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था शुरू करने की तैयारी की जा रही है जिससे कि ऐसे चालकों का पता लगाया जा सके जो एक से अधिक जगह पर बस चल रहे हैं. यह व्यवस्था डीटीसी, डिम्ट्स, टाटा और जेबीएम में होगी. सभी का डेटा मैच होगा. बस हादसों को रोकने के लिए यह कवायद शुरू करने की तैयारी की गई है.
ब्रीद एनालाइजर से जांचें जाएंगे चालक: दिल्ली में कोई भी चालक शराब पीकर बस न चलाए. इसके लिए ब्रीद एनालाइजर से चालकों के सांसों की जांच की जाएगी. ड्यूटी शुरू होने से पहले जांच होगी. यह व्यवस्था पहले से होनी चाहिए. चालकों की जांच करने के बाद ही उन्हें रूट पर बस लेकर उतारना चाहिए. इसके साथ ही रूट पर भी औचक जांच की जानी चाहिए.
चालकों के लिए ट्रेनिंग का प्रावधान:परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यदि किसी बस चालक से कोई हादसा होता है तो उसे दो दिन के लिए ट्रेनिंग सेंटर भेजकर ट्रेनिंग दिलाई जाती है. सेंटर पर उनकी काउंसलिंग भी की जाती है. सभी चालकों की तीन से छह माह में काउंसलिंग की जाती है.