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मर्सिडीज कार दिखा मरीजों को इम्‍प्रेस करता था सरगना, दिल्ली से हैदराबाद-मुंबई तक फैलाया क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट का जाल - KIDNEY TRANSPLANT RACKET BUSTED - KIDNEY TRANSPLANT RACKET BUSTED

KIDNEY TRANSPLANT RACKET BUSTED: राजधानी में किडनी रैकेट का पर्दाफाश किए जाने के बाद आरोपियों के बारे में लगातार जानकारियां निकलकर सामने आ रही हैं. इसी क्रम में रैकेट के सरगना के अलावा आरोपियों के काम और उन्हें दिए जाने वाली रकम को लेकर जानकारी सामने आई है. आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से..

क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट रैकेट का भंडाफोड़
क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट रैकेट का भंडाफोड़ (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 19, 2024, 5:06 PM IST

नई द‍िल्‍ली:द‍िल्‍ली पुल‍िस क्राइम ब्रांच की इंटरस्‍टेट सेल ने शुक्रवार को क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया. मामले में रैकेट के सरगना सहित 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी के बाद मामले में लगातार खुलासे किए जा रहे हैं. अब रैकेट के सरगना सहित अन्य सदस्यों के बारे में कई जानकारियां निकलकर सामने आई हैं.

जानकारी के मुताबिक, मास्‍टरमाइंड संदीप आर्य नोएडा का रहने वाला है और पब्‍ल‍िक हेल्‍थ में एमबीए डिग्री धारक है. वह द‍िल्‍ली ही नहीं बल्‍क‍ि हर‍ियाणा, मध्‍य प्रदेश, गुजरात राज्‍यों के अलग-अलग शहरों के अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर चुका है. उसके पास मर्सिडीज कार थी जिससे मरीज काफी प्रभावित होते थे. पूछताछ में खुलासा हुआ क‍ि संदीप आर्य ही मरीजों से संपर्क करता था और वही अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण का पूरा अरेंजमेंट करता था, जहां उसे ट्रांसप्‍लांट कार्ड‍िनेटर के रूप में तैनात किया गया था.

वह हर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए करीब 35-40 लाख रुपये वसूलता था. इसमें अस्पताल के खर्चे से लेकर डोनर का अरेंजमेंट, रहने खाने की व्‍यवस्‍था और सर्जरी के लिए आवश्यक अन्य कानूनी दस्तावेज का पूरा खर्चा शामिल होता था. हर किडनी ट्रांसप्लांट पर उसको सात से आठ लाख रुपये की बचत होती थी. इस मामले से पहले शालीमार बाग थाना (दिल्ली) के एक क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी मामले में भी संल‍िप्‍त रह चुका है.

10 कक्षा तक पढ़ा है देवेंद्र:वहीं, आरोपी देवेंद्र झा के बारे में सामने आया कि उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वह संदीप आर्य का साला बताया जा रहा है. उसी ने अपने अकाउंट की डिटेल्स मुहैया कराई थी, जिसमें शिकायतकर्ता मह‍िला के पति से सात लाख रुपये प्राप्त हुए थे. उसकी भूमिका संदीप आर्य की मदद करना और उसके निर्देश पर पेमेंट र‍िसीव करना था. वह हर केस के लिए 50 हजार रुपये लेता था.

ऐसे संदीप के संपर्क में आया विजय:क्राइम ब्रांच ने एक अन्‍य आरोपी विजय कुमार कश्यप उर्फ ​​सुमित को नोएडा से गिरफ्तार क‍िया है, जो मूलरूप से यूपी के लखनऊ का रहने वाला है. वह ग्रेजुएट है. शुरुआत में वह पैसे के बदले अपनी किडनी देने के लिए आरोपी संदीप आर्य के संपर्क में आया था. इसके बाद वह भी इस क्राइम में शामिल हो गया और संदीप आर्य के साथ काम करने लगा. वह भी हर केस के ल‍िए 50 हजार रुपए लेता था. उनकी भूमिका पेशेंट/रिसीवर की लाइफस्‍टाइल और फैम‍िली बैकग्राउंड के मुताब‍िक डोनर्स को तैयार करना और आरोपी संदीप के निर्देशों पर सर्जरी से पहले डोनर्स को सुविधा प्रदान कराना था.

फेक डॉक्‍यूमेंट तैयार करता था पुनीत:रैकेट में शामिलआरोपी पुनीत कुमार के बार में सामने आया कि वह आगरा का रहने वाला है और उसने 2018 में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट में ड‍िग्री हास‍िल की थी. वह विभिन्न राज्यों के सात अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुका है. वह संदीप के कहने पर मरीज और डोनर के बीच तालमेल स्‍थाप‍ित कर उसके ल‍िए फेक डॉक्‍यूमेंट तैयार करता था. वर्तमान में वह आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत है. संदीप उसे हर फाइल चार्ड के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये देता था.

मुंबई का टेलर क‍िडनी डोनेट कर बना रैकेट का मेंबर:वहीं, एक अन्य आरोपी मोहम्मद हनीफ शेख मुंबई का रहने वाला है जो पेशे से दर्जी है. वह फेसबुक के माध्यम से संदीप आर्य के संपर्क में आया था और उसने पैसे के लिए अपनी किडनी डोनेट की थी. इसके बाद वह भी इस अपराध में शामिल हो गया था. उसकी भूमिका आरोपी संदीप आर्य को डोनर उपलब्ध कराने की थी, जिसके बदले उसे हर केस पर एक लाख रुपये तक मिलते थे.

हैदराबाद का चीका प्रशांत ऐसा हुआ रैकेट में शामिल:इसके अलावा हैदराबाद का चीका प्रशांत भी संदीप आर्य के जरिए अपनी किडनी डोनेट कर इस गोरखधंधे में जुड़ गया था. संदीप ने उसमें अस्पतालों में पहुंच पाने की क्षमता देखी, इसलिए उसने प्रशांत को ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में जॉब द‍िलाने के लिए इंदौर (एमपी) में उसकी ट्रेन‍िंग की व्यवस्था की.

आख‍िर में वह दिल्ली के एक जाने माने अस्पताल में फेक कागजात पर नौकरी पाने में सफल रहा. उसकी मदद से संदीप 3 किडनी ट्रांसप्लांट कराने में सफल हो हुआ. इसके अलावा, उन्होंने खुद को पिता और बेटी के रूप में दिखाते हुए एक डोनर के साथ मह‍िला शिकायतकर्ता के पति के लिए फाइल आगे बढ़ाई, लेकिन इस बीच शिकायतकर्ता के पति की मृत्यु हो गई. वह हर केस पर एक लाख रुपये लेता था.

वसूलता था 5 लाख रुपये:इस रैकेट में तेज प्रकाश नामक व्यक्ति को भी ग‍िरफ्तार क‍िया गया है, जो दिल्ली का रहने वाला है. उसने संदीप के जर‍ि‍ए मोहाली के एक अस्पताल से अपनी पत्नी के लिए किडनी ट्रांसप्लांट कराया और बाद में आरोपी संदीप आर्य को मरीज भी मुहैया कराया. वह प्रति मरीज पांच लाख रुपये वसूला करता था.

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सोशल मीडिया पर ढूंढता था डोनर:आरोपियों मेंरोहित खन्ना उर्फ ​​नरेंद्र भी शामिल है, जो दिल्ली का रहने वाला है. वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से विभिन्न किडनी ग्रुप से किडनी डोनर के कॉन्‍टैक्‍ट नंबर प्राप्त करता था. जैसे ही कोई डोनर किडनी देने की इच्छा जाहिर करता था, वह उससे संपर्क करता था. उसने किडनी प्रत्यारोपण के लिए अलग-अलग मरीजों के लिए आरोपी संदीप आर्य को भेजने का काम क‍िया. उसके पास 26 ईमेल आईडी, सोशल मीडिया पेजों के नंबर और 112 किडनी-ट्रीटमेंट ग्रुप्‍स के सदस्य भी हैं. वह सिंडिकेट के डोनर्स का मुख्य सप्‍लायर है. पुलिस द्वारा अन्‍य राज्‍यों में इस तरह के रैकेट की गत‍िव‍िध‍ियों के संचालन क‍िए जाने की जांच भी की जा रही है.

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