नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगे के एक पीड़ित को देर से मिले मुआवजे का ब्याज छह हफ्ते में देने का निर्देश दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पीड़ित और उसके परिवार ने एक तरफ दंगाइयों की मार झेली और दूसरी तरफ प्रशासन की असंवेदनशीलता और लापरवाही का दंश झेला. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को 16 जनवरी 2006 से 8 अप्रैल 2016 के बीच दस फीसदी सालाना की दर से ब्याज की रकम दी जाए. दरअसल, याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी. सिंगल बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता ब्याज की रकम का हकदार नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना था कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उसके शाहदरा स्थित घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई. इस घटना के बाद याचिकाकर्ता के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी.