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हाईकोर्ट ने केंद्र को सिख विरोधी दंगे के पीड़ित को विलंबित मुआवजे पर ब्याज देने का दिया आदेश - 1984 ANTI SIKH RIOTS

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 21, 2024, 10:09 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित को विलंबित मुआवजे पर ब्याज देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित और उसके परिवार ने एक तरफ दंगाइयों की मार झेली और दूसरी तरफ प्रशासन की असंवेदनशीलता और लापरवाही का दंश झेला.

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दिल्ली हाईकोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगे के एक पीड़ित को देर से मिले मुआवजे का ब्याज छह हफ्ते में देने का निर्देश दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पीड़ित और उसके परिवार ने एक तरफ दंगाइयों की मार झेली और दूसरी तरफ प्रशासन की असंवेदनशीलता और लापरवाही का दंश झेला. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को 16 जनवरी 2006 से 8 अप्रैल 2016 के बीच दस फीसदी सालाना की दर से ब्याज की रकम दी जाए. दरअसल, याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी. सिंगल बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता ब्याज की रकम का हकदार नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना था कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उसके शाहदरा स्थित घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई. इस घटना के बाद याचिकाकर्ता के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

मुआवजे का आकलन करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने 2015 में याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये का मुआवजा देने की अनुशंसा की थी. बाद में 2016 में उसे मुआवजा दिया गया. कोर्ट ने कहा कि भले ही मुआवजे की नीति में ब्याज का प्रावधान नहीं था, लेकिन कोर्ट कुछ मामलों में ऐसा आदेश दे सकती है. ताकि 1984 के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की नीति महत्वहीन न हो जाए. कोर्ट ने कहा कि दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की नीति समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए लाई गई थी, लेकिन इसे समय पर पूरा नहीं किया गया.

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