नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में अब कैबिनेट के फैसले को लेकर मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने अपने अधीन आने वाले तमाम अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट नोट बनाने से पहले उसके हर पहलुओं पर विचार करते हुए अंतिम राय उपराज्यपाल की ली जाए. इससे प्रशासनिक कार्यों में और देर होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि माना जा रहा है कि ऐसा करने से सरकार के फैसलों पर उपराज्यपाल द्वारा अंतिम निर्णय लेने में जो अब तक देरी होती रही है वह समाप्त हो जाएगी. वहीं उपराज्यपाल की राय से तैयार प्रस्ताव पर कैबिनेट की सहमति के बाद उसे फौरी तौर पर उपराज्यपाल सचिवालय से भी मंजूरी मिल जाएगी.
इसपर दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल ने कहा, अगस्त 2023 में संसद से पास होने के बाद राष्ट्रपति ने दिल्ली सर्विस बिल को मंजूरी दी थी. इस कानून के बनने के बाद दिल्ली सरकार में प्रशासनिक फैसलों को लेकर बड़ा बदलाव आया है. दिल्ली की चुनी हुई सरकार को फैसला लेने का अधिकार तो होगा. लेकिन उस पर अंतिम मंजूरी उपराज्यपाल की होगी. अधिकारियों के तबादले से लेकर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पर नए कानून के मुताबिक सिविल सर्विसेज प्राधिकरण फैसला करेगा. वहीं अब विधानसभा सत्र बुलाने के लिए भी सरकार को उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी है.
नए कानून के आने के कुछ महीने बाद ही अरविंद केजरीवाल जेल चले गए थे, जिससे प्रशासन का कामकाज ठप रहा. साथ ही कैबिनेट की मीटिंग भी नहीं हुई. नई मुख्यमंत्री के तौर आतिशी ने गत दिनों जो कैबिनेट की बैठक बुलाई है उसमें लिए गए फैसलों की प्रासंगिकता पर लगातार विपक्ष सवाल उठा रहा है. यहां तक की कैबिनेट के फैसलों पर वित्त विभाग ने भी अपनी आपत्ति जताई. इन सबको देखते हुए मुख्य सचिव ने अगर अधिकारियों को यह पत्र लिखा है तो इसमें कुछ गलत नहीं. सरकार कैबिनेट की मीटिंग बुलाने के लिए स्वतंत्र जरूर है, लेकिन बिजनेस रूल के तहत कैबिनेट नोट में उपराज्यपाल की राय भी लेने का जिक्र है. - ओमेश सहगल, मुख्य सचिव