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दिल्ली की अदालत ने करप्शन के मामले में सफदरजंग अस्पताल के न्यूरो सर्जन को दी जमानत - court grant bail to neurosurgeon - COURT GRANT BAIL TO NEUROSURGEON

neurosurgeon in corruption case: दिल्ली की एक अदालत ने सफदरजंग अस्पताल के उस न्यूरो सर्जन को जमानत दे दी है जिस पर करप्शन का आरोप है. न्यूरो सर्जन पर कथित तौर पर मरीजों को उनकी सर्जरी जल्दी करवाने के लिए एक विशेष स्टोर से अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने का आरोप है. विशेष न्यायाधीश ने कई शर्तों के साथ ये जमानत दी है.

करप्शन के मामले में सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोसर्जन को दी जमानत
करप्शन के मामले में सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोसर्जन को दी जमानत (ETV BHARAT)

By PTI

Published : Jul 17, 2024, 8:16 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने सफदरजंग अस्पताल के एक न्यूरो सर्जन को जमानत दे दी है, जिसे कथित तौर पर मरीजों को उनकी सर्जरी जल्दी करवाने के लिए एक विशेष स्टोर से अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. विशेष न्यायाधीश अनिल अंतिल ने मनीष रावत को राहत देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई अभी शुरू होनी है और इसे समाप्त होने में काफी समय लगने की संभावना है.

न्यायाधीश ने आरोपी पर कई शर्तें लगाईं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह किसी भी तरह से सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा. गवाहों से संपर्क नहीं करेगा या उन्हें प्रभावित नहीं करेगा और अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेगा. न्यायाधीश ने पारित आदेश में कहा कि नियमित जमानत स्वीकार किया जाता है. न्यायाधीश ने उन्हें 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत देने का निर्देश दिया और उन्हें जांच अधिकारी (आईओ) को अपना मोबाइल नंबर देने का भी आदेश दिया. सीबीआई ने रावत पर अपने साथियों के साथ मिलकर मरीजों से चिकित्सा परामर्श और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए भुगतान मांगने का आरोप लगाया था. जबकि, यह सब अस्पताल के स्थापित प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए किया गया था.

सीबीआई ने खुलासा किया कि रावत ने मरीजों को उपकरणों की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया, जिसे उन्होंने उन्हें एक विशेष दुकान से खरीदने के लिए कहा था. सीबीआई ने आरोप लगाया कि दुकान मालिक ने आरोपी सर्जन के साथ ओवर बिलिंग का लाभ साझा किया. जांच में यह भी पता चला है कि रावत अपने मरीजों को 30,000 रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक की रिश्वत एक बिचौलिए के बैंक खाते में जमा करने का निर्देश देता था.

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एजेंसी ने रावत पर यह भी आरोप लगाया है कि उसने महंगे सर्जिकल उपकरणों की बिक्री से प्राप्त अतिरिक्त धन को हड़प लिया. रिश्वत के माध्यम से खुद को और अपने सह-षड्यंत्रकारियों को समृद्ध किया और बरेली में एक निजी व्यक्ति गणेश चंद्र द्वारा नियंत्रित विभिन्न कंपनियों के माध्यम से उसने गैर कानूनी काले धन को सफेद किया.

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