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फॉरेस्ट फायर के लिहाज से देहरादून के 6 क्षेत्र अति संवेदनशील, जिला एक्शन प्लान को मिली मंजूरी - DEHRADUN FOREST FIRE PLAN

देहरादून के शहरी इलाके में 6 अति संवेदनशील फॉरेस्ट फायर क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. इसमें मालसी, झाझरा और लच्छीवाला रेंज के क्षेत्र मौजूद है.

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फॉरेस्ट फायर (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 8, 2025, 5:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में एक तरफ वन विभाग फॉरेस्ट फायर सीजन की तैयारी में जुटा है, तो वहीं जिला स्तर पर एक्शन प्लान भी तैयार किया जा रहे हैं. इस कड़ी में राजधानी देहरादून के डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी गई है. खास बात यह है कि देहरादून के शहरी इलाके में ही वनाग्नि के लिहाज से 6 अति संवेदनशील क्षेत्र चिन्हिंत किए गए हैं, जबकि पूरे जिले में दर्जनों क्षेत्र को इस कैटेगरी में शामिल किया गया है.

वनाग्नि को लेकर फिलहाल तैयारियों का दौर जारी है. इस कड़ी में जिला स्तर पर अधिकारियों को निर्देशित किए जाने के बाद जिलों में भी इसके लिए प्लान तैयार किया जा रहे हैं. इसी कड़ी में राजधानी देहरादून का जिला एक्शन प्लान तैयार किया गया है. जिला एक्शन प्लान को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान मंजूरी भी दे दी गई है.

देहरादून के शहरी इलाके में 6 अति संवेदनशील फॉरेस्ट फायर क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. इसमें मालसी, झाझरा और लच्छीवाला रेंज के क्षेत्र मौजूद है. हालांकि जिले में फॉरेस्ट फायर के सबसे ज्यादा अति संवेदनशील इलाके चकराता में मौजूद है, जबकि मसूरी क्षेत्र में भी कुछ जगहों को अति संवेदनशील में रखा गया है.

देहरादून के डीएफओ नीरज कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि काफी समय से जिले का फॉरेस्ट फायर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा था और अब इस प्लान को कमेटी के माध्यम से अनुमोदन दे दिया गया है. इसमें विभिन्न कार्यों को जोड़ा गया है, ताकि फॉरेस्ट फायर सीजन के दौरान आग लगने की घटनाओं को रोका जा सके.

एक्शन प्लान में सबसे ज्यादा प्राथमिकता आम लोगों की सहभागिता को दी गई है, जिसके लिए लोगों को जागरूक करने और इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रम तय किए गए हैं. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की भी मदद लेने पर जोर दिया गया है. प्रयास किया जा रहा है कि वन क्षेत्र में जो क्रू स्टेशन तैयार किए गए हैं, वहां पर जरूरी उपकरणों की उपलब्धता समय से कर ली जाए. इस दौरान पंचायत और सिविल वनों में होने वाली आग की घटनाओं को रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए.

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