करनाल:हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस समय हिंदू वर्ष का मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इस महीने में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस महीने में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. जिसका सभी अमावस्या में से ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार इस दिन पितृ धरती पर आते हैं.
इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष तौर पर पूजा पाठ, अनुष्ठान, पिंडदान किए जाते हैं. इस अमावस्या में चंद्रमा का भी विशेष महत्व होता है. जो भी विधि विधान से दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा देवता की पूजा अर्चना करते हैं. उनकी सभी इच्छा पूरी होती है. इस अमावस्या को दर्श अमावस्या इसलिए कहा जाता है. क्योंकि इस दिन आत्म निरीक्षण और ध्यान करने का विशेष फल प्राप्त होता है. तो आईए जानते हैं कि दर्श अमावस्या कब है इसका क्या महत्व है.
कब है दर्श अमावस्या:पंडित कर्मपाल ने बताया कि प्रत्येक महीने में एक अमावस्या आती है और मार्गशीर्ष महीने में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार दर्श अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर को सुबह 10:29 से हो रही है. जबकि इसका समापन अगले दिन एक दिसंबर को 11:50 पर हो रहा है. इस बार दर्श अमावस्या को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है. लेकिन इस बार वैदिक पंचांग के अनुसार दर्श अमावस्या 30 नवंबर को ही मनाई जा रही है.
पूजा का विधि विधान और महत्व:कोई भी अमावस्या हो सभी पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. जिसे कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. दर्श अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके उपरांत दान करें. दान करने से घर में सुख समृद्धि आती है और आर्थिक संकट दूर होता है. दर्श अमावस्या को विशेष तौर पर पितरों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि इस दिन सभी जातकों के पितृ पृथ्वी पर आते हैं. इसलिए अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है या किसी भी प्रकार से उनके पितर उनसे रुष्ट है या उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाई है. तो दर्श अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष तौर पर पूजा अर्चना, पिंडदान ,तर्पण , अनुष्ठान कर्म किए जाते हैं.