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जानें कब और क्यों मनाई जाती है दर्श अमावस्या, इस दिन पूजा करने से पितृदोष से मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन चंद्र देवता की पूजा-अर्चना की जाती है. यह दिन पितरों को समर्पित होता है.

Darsh Amavasya 2024
Darsh Amavasya 2024 (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 6 hours ago

करनाल:हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस समय हिंदू वर्ष का मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इस महीने में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस महीने में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. जिसका सभी अमावस्या में से ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार इस दिन पितृ धरती पर आते हैं.

इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष तौर पर पूजा पाठ, अनुष्ठान, पिंडदान किए जाते हैं. इस अमावस्या में चंद्रमा का भी विशेष महत्व होता है. जो भी विधि विधान से दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा देवता की पूजा अर्चना करते हैं. उनकी सभी इच्छा पूरी होती है. इस अमावस्या को दर्श अमावस्या इसलिए कहा जाता है. क्योंकि इस दिन आत्म निरीक्षण और ध्यान करने का विशेष फल प्राप्त होता है. तो आईए जानते हैं कि दर्श अमावस्या कब है इसका क्या महत्व है.

कब है दर्श अमावस्या:पंडित कर्मपाल ने बताया कि प्रत्येक महीने में एक अमावस्या आती है और मार्गशीर्ष महीने में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार दर्श अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर को सुबह 10:29 से हो रही है. जबकि इसका समापन अगले दिन एक दिसंबर को 11:50 पर हो रहा है. इस बार दर्श अमावस्या को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है. लेकिन इस बार वैदिक पंचांग के अनुसार दर्श अमावस्या 30 नवंबर को ही मनाई जा रही है.

पूजा का विधि विधान और महत्व:कोई भी अमावस्या हो सभी पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. जिसे कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. दर्श अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके उपरांत दान करें. दान करने से घर में सुख समृद्धि आती है और आर्थिक संकट दूर होता है. दर्श अमावस्या को विशेष तौर पर पितरों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि इस दिन सभी जातकों के पितृ पृथ्वी पर आते हैं. इसलिए अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है या किसी भी प्रकार से उनके पितर उनसे रुष्ट है या उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाई है. तो दर्श अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष तौर पर पूजा अर्चना, पिंडदान ,तर्पण , अनुष्ठान कर्म किए जाते हैं.

दान-पुन का विशेष महत्व: इस दिन अपने घर के मंदिर में दीपक जलाएं, उसके बाद घर के मुख्य द्वार पर भी एक दीपक जला कर रखें. इस दिन जरूरतमंद ब्राह्मण गरीबों को दान देना काफी लाभकारी माना जाता है. पैसे के साथ-साथ खाने की वस्तु और गर्म कपड़े दान करने से घर में सुख समृद्धि आती है और उसका कई गुना फल की प्राप्ति होती है. दर्श अमावस्या की रात के समय चंद्र देवता की पूजा करने का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान दर्श अमावस्या की रात को चंद्र देवता की पूजा अर्चना करता है. उसकी सभी इच्छा और मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख समृद्धि आती है. जीवन में चंद्रमा देवता की तरह शालीनता बनी रहती है.

पितृदोष मुक्ति के उपाय:अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है, तो उसके लिए अमावस्या पर कौवे को भोजन खिलाए. जिसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. गाय को चारा खिलाने से भी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रश्न होते हैं. पितरों के लिए पूजा अर्चना करने के बाद दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. वहीं, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और उन को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपाय: पितरों की आत्मा की शांति के लिए पीपल के पेड़ पर गंगाजल, काले तिल, चावल, चीनी, फूल अर्पित करने के दौरान ॐ पितृभ्य नमोमंत्र का जाप करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन विशेष तौर पर पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए मिठाई, पूरी और खीर बनाकर दक्षिण दिशा में रखें और वहां पर दीप जलाकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें. यह सब उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.

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