दमोह.मध्यप्रदेश के दमोह जिले से एक अनोखी शवयात्रा निकाले जाने का मामला सामने आ रहा है. यहां एक वृद्ध महिला की मृत्यु के बाद जब शवयात्रा निकली तो ग्रामीण अचरज में पड़ गए कि ये शवयात्रा है या बारात. दरअसल, शवयात्रा में बाकायदा बैंड और बाजे धुन निकालते नजर आए. ये शवयात्रा सिया रानी की थी जिनकी मृत्यु 103 वर्ष की आयु में हुई.
इस वजह से निकाली गई ऐसी शवयात्रा
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मृत्यु एक महोत्सव है इसलिए मृत्यु से घबराना नहीं चाहिए. गीता के इस वचन को चरितार्थ किया है दमोह के ग्राम मंगोला निवासी सियारानी साहू के परिजनों ने. दरअसल, ग्राम मंगोला निवासी सिया रानी का मंगलवार शाम 103 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. परिजनों ने उनके जीवन की अंतिम यात्रा को यादगार और भव्य बनाते हुए उसे बारात का रूप दिया और बैंड-बाजों के साथ विदाई दी. इस दौरान बैंड पर राम धुन भी बजाई गई.
शवयात्रा में शामिल होते गए राहगीर
ये शवयात्रा जहां-जहां से निकली लोग हैरानी के साथ बस इसे देखते रह गए. जब राहगीरों को पता चला कि सियारानी साहू का शतायु होकर निधन हुआ तो वे भी शवयात्रा में शामिल होते चले गए. सियारानी साहू हटा नगर निवासी राष्ट्रीय तेली पिछड़ा वैश्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष हरिशंकर साहू, सुनील साहू मंडी, कनई, ब्रजेश, राजकुमार, अभिषेक साहू की दादी और श्यामलाल व इमरत साहू की मां थीं. वे अपने पीछे नाती-पोतों के साथ भरा पूरा परिवार छोड़कर गईं. सियारानी ग्राम मंगोला में सबसे वृद्ध महिला थीं. मंगोला मुक्तिधाम में विधि विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.