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क्या आपने देखा है दिल्ली का पुराना किला ? जानिए यहां से जुड़ी रोचक बातें

-दिल्ली में पुराना किला को हुमायूं और शेर शाह सूरी द्वारा बनवाया गया था -पर्यटकों और इतिहासकारों के आकर्षण का है केंद्र.

दिल्ली में शेर शाह सूरी द्वारा 1545 में  बनवाया गया था पुराना किला
दिल्ली में शेर शाह सूरी द्वारा 1545 में बनवाया गया था पुराना किला (Etv bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 27, 2024, 6:32 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मथुरा रोड स्थित पुराना किला ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. यह किला हुमायूं द्वारा 1530 में बनाया गया था. शेर शाह सूरी के हमले के बाद हुमायूं को यहां जाना पड़ा. इस के बाद शेर शाह सूरी द्वारा 1540 से 1545 के बीच इस किले को दोबारा बनवाया गया था, जो उसके शासन काल का महत्वपूर्ण स्मारक है. तकरीबन दस साल बाद हुमायूं ने शेर शाह सूरी से दोबारा अपना शासन वापस लिया और 1553/1554 में किले में तबदीली की गई. किले की विशाल दीवारें और तीन प्रमुख द्वार इसकी मजबूती और रक्षा व्यवस्था को दर्शाते हैं. पुराना किला न केवल अपने वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके इतिहासिक और पुरातात्त्विक महत्व के कारण यह पर्यटकों और इतिहासकारों का आकर्षण केंद्र है.

आर्कियोलॉजिस्ट सर्जुन प्रसाद ने बताया, पुराना किला महाभारत के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू साहित्य के अनुसार, यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल पर स्थित है, जो पांडवों की प्राचीन राजधानी मानी जाती है. खुदाई में मिले बर्तनों के अवशेषों व अन्य पुरातात्त्विक साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि इंद्रप्रस्थ का स्थल शायद यही स्थान हो सकता है. सन् 1955 में की गई खुदाई में इस क्षेत्र से महाभारत से जुड़े बर्तनों के अवशेष मिले थे, जो महाभारत काल के अन्य स्थलों से पाए गए अवशेषों से मेल खाते थे.

कभी इंद्रप्रस्थ के रूप में था अस्तित्व:इतिहासकारों का मानना है कि दिल्ली का जो स्थल आज पुराना किला के रूप में जाना जाता है, वह एक समय पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ के रूप में अस्तित्व में था. महाभारत काल में पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगे थे, जिनमें से इंदपत, बागपत, तिलपत, सोनीपत और पानीपत शामिल थे. इन स्थानों से महाभारत काल के बर्तन और अन्य पुरानी वस्तुएं प्राप्त हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि पुराना किला पहले इंदपत था, जो इस बात को साबित करती हैं कि यह क्षेत्र महाभारत काल में महत्वपूर्ण रहा होगा.

दिल्ली में शेर शाह सूरी द्वारा 1545 में बनाए गे पुराना किला का इतिहास (Etv bharat)

2.4 किलोमीटर लंबी दीवारें:किले का इतिहास और इसकी वास्तुकला में मुगल, हिंदू और अफगानी वास्तुकला का समन्वय देखने को मिलता है. किले के तीन मुख्य द्वार हैं जिसमें उत्तर, पश्चिम और दक्षिण इसके प्रवेश के मार्ग हैं. पश्चिमी दरवाजे का इस्तेमाल आजकल किले में प्रवेश के लिए किया जाता है. उत्तर का दरवाजा "तलाकी दरवाजा" कहलाता है, जिसके उपयोग पर अब प्रतिबंधि है. किले की दीवारें लगभग 2.4 किलोमीटर लंबी हैं, जो इसकी मजबूत रक्षा प्रणाली को दर्शाती हैं.

किले तक थी यमुना नदी: पुराना किला न केवल दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह भारतीय इतिहास की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है. हुमायू और शेर शाह सूरी द्वारा निर्मित इस किले की दीवारों और संरचनाओं में उनकी सामरिक समझ और कला का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है. कहा जाता है कि कभी पुराने किला तक यमुना नदी थी, लेकिन अतिक्रमण के कारण यमुना नदी यहां से करीब दो किलोमीटर दूर चली गई.

यहीं हुई थी हुमायूं की मौतःपुराना किला के भीतर दो तलीय अष्टभुजी आकार का शेर मंडल भी स्थित है, जो शेर शाह द्वारा बनवाया गया दो मंजिला भवन है. शेरशाह की मृत्यु के बाद मुगल सम्राट हुमायूं द्वारा शेर मंडल का उपयोग पुस्तकालय के रूप में किया जाता था. ऐसा कहा जाता है कि इसी किले में हुमायूं की शेर मंडल से गिरकर मौत हुई थी.

भारतीय इतिहास का कर सकते हैं अनुभव: किले का इतिहास न केवल भारतीय इतिहास के शौकिनों को, बल्कि विश्वभर के इतिहासकारों को पुरातत्वविद् को भी आकर्षित करता है. दिल्ली में स्थित इस किले का सांस्कृतिक और इतिहासिक महत्व एक अमूल्य धरोहर है, जो भारतीय इतिहास की गहरी समझ और सभ्यता दर्शाता है. पुराना किला आज भी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख स्थल बना हुआ है, जहां वे न केवल भारतीय इतिहास को करीब से समझ सकते हैं बल्कि, प्राचीन वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव भी कर सकते हैं.

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