नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना लाइसेंस के रेडियोलॉजिकल उपकरण चलाने वाले अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, डायग्नोस्टिक केंद्रों और अन्य संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) को नोटिस जारी किया. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को करने का आदेश दिया है.
यह याचिका शैलेश सिंह ने अधिवक्ता प्रीति सिंह और सुंकलन पोरवाल के माध्यम से दायर की है. इसमें मेडिकल डायग्नोस्टिक एक्स-रे सुविधाओं और रेडियोलॉजी केंद्रों के लिए सुरक्षा नियमों के अनुपालन न करने के बारे में चिंता जताई गई है. इस याचिका में एईआरबी, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रेडियोधर्मी पदार्थों और विकिरण को विनियमित करने में कथित विफलता के परिणामों पर प्रकाश डाला गया है.
जरूरी मानदंडों का पालन नहीं: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रीति सिंह और सुंकलान पोरवाल ने कहा कि अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और डायग्नोस्टिक केंद्रों पर बिना लाइसेंस के रेडियोलॉजिकल उपकरण चलाए जा रहे हैं. इन उपकरणों से रेडियोधर्मी किरणें निकलती हैं, जो पर्यावरण और जंगलों को नुकसान पहुंचाते हैं. याचिका में कहा गया है कि रेडियोलॉजिकल उपकरणों को चलाने के लिए जरूरी मानदंडों का पालन भी नहीं किया जाता है. इससे न केवल मरीज बल्कि हेल्थकेयर वर्कर्स के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है.
याचिका में ये भी कहा गया है कि एईआरबी के एडवाइजरी के मुताबिक रेडियोलॉजिकल उपकरण चलाने वाले अस्पतालों और केंद्रों को इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी है. लाइसेंस लेने के लिए जरूरी मानदंड पूरे करने होते हैं, लेकिन कुछ ही अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर्स के पास रेडियोलॉजिकल उपकरण चलाने के लिए जरूरी लाइसेंस हैं. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों और डायग्नोस्टिस सेंटर्स के रेडियोलॉजिकल सुविधा का आडिट कराया जाए.
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