जबलपुर। दीपावली के बाद यदि सहकारी समितियों के कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिला तो वे पूरे प्रदेश में 6 नवंबर के बाद गरीबों को राशन बांटना बंद कर देंगे. इसके साथ ही धान और सोयाबीन की खरीदी भी नहीं करेंगे. समितियों के माध्यम से संचालित होने वाले दूसरे काम भी बंद हो जाएंगे. मध्य प्रदेश में लगभग 45000 कर्मचारी सहकारी समितियां में काम करते हैं लेकिन सरकार इन्हें फिलहाल कलेक्टर गाइडलाइन से भी कम वेतन दे रही है. इसी को लेकर कर्मचारियों में रोष है.
बढ़ा वेतन नहीं मिलने से सहकारी समितियों के कर्मचारी खफा
मध्य प्रदेश में सहकारी समितियां के माध्यम से किसानों को खाद वितरित किया जाता है. सहकारी समितियों के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन बांटा जाता है. जबलपुर के तालाड समिति की सेल्समेन सरस्वती कुशवाहा ने बताया"उन्हें वेतन के रूप में मात्र ₹6000 मिलता है. ₹6000 में परिवार चलाना बहुत कठिन है. बीते दिनों सरकार ने उनके वेतनमान में ₹3000 की बढ़ोतरी की थी लेकिन यह रकम अब तक उन्हें नहीं मिली है."जबलपुर सहकारी समिति के अध्यक्ष कपिल मिश्रा का कहना है "मध्य प्रदेश के कई जिलों में सहकारी समितियां में वेतन वृद्धि हो गई है, लेकिन जबलपुर में सहकारी समिति के कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल पा रहा है."
कर्मचारियों ने दी 6 नंबर से हड़ताल की चेतावनी
कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द ही इस वेतन का भुगतान नहीं होता है तो 6 नवंबर से कर्मचारी अनिश्चितकाल की हड़ताल पर चले जाएंगे. ना तो वे राशन बाटेंगे और ना ही सरकार की धान खरीदी में सहयोग करेंगे. सहकारी समिति के प्रदेश अध्यक्ष बी चौहान ने इस बारे में एक पत्र मध्यप्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और खाद्य मंत्री गोविंद राजपूत को लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा है "कम से कम सरकारी समिति के कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट गाइडलाइन के अनुसार वेतन दिया जाए. अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो 6 नवंबर के बाद मध्य प्रदेश की सहकारी समितियां के माध्यम से राशन वितरण बंद हो जाएगा."