भोपाल।मध्यप्रदेश में अब कांग्रेस ने बीजेपी के सबसे मजबूत वोट बैंक पर सेंधमारी की तैयारी की है. महिलाओं के बाद किसान वोटर्स पर बीजेपी की मजबूत पकड़ है. लेकिन सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ सड़क पर उतरी कांग्रेस अब इसी वोट बैंक के सहारे एमपी में अपनी सूखी जमीन को हराभरा करने की कोशिश में जुट गई है. दिग्विजय सिंह से लेकर जीतू पटवारी तक किसान नेता बनने की दौड़ में हैं. हालांकि बीजेपी इस वोट बैंक को आसानी से नहीं जाने देना चाहती. लिहाजा कांग्रेस की न्याय यात्रा शुरू होते ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी को मंजूरी दे दी. वहीं, कांग्रेस एमएसपी बढ़ाए जाने पर अड़ी है. असल में किसानों की भी मूल मांग यही है.
किसान आंदोलन के लिए मंदसौर ही क्यों चुना
कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा के लिए उसी मंदसौर की जमीन को चुना, जहां से किसान गोलीकांड हुआ था. किसान न्याय यात्रा का सबसे बड़ा मुद्दा है सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए. एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मंदसौर से आंदोलन शुरू किया. दूसरे ही दिन मोहन यादव सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा और और 24 घंटे से कम समय में ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी को मंजूरी दे दी.
किसान आंदोलन को विस्तार देने की कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस जिस मुद्दे को लेकर मंदसौर से शुरू करके आंदोलन को पूरे प्रदेश में ले जाने की तैयारी कर रही थी, बीजेपी ने इस कोशिश झटका दिया है. क्या शिवराज के इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के आंदोलन की हवा निकल गई है. इस बारे में कांग्रेस के किसान नेता अवनीश भार्गव कहते हैं "मुद्दा एमएमसपी पर खरीदी का है ही नहीं. हमारा मुद्दा है कि एमएसपी बढ़ाई जाए. जो सोयाबीन खराब हुई है उसका मुआवज़ा दिया जाए. न्याय यात्रा तो पूरे प्रदेश में जाएगी. एमएसपी पर खरीद तो किसान की भी मांग नहीं है. किसान चाहते हैं उसकी लागत का खर्चा निकले. चाहे फिर वह मंडी में बिके या सरकार खरीदे. कांग्रेस का आंदोलन रुकने वाला नहीं है. हम किसानों की आवाज बनकर उनकी लड़ाई लड़ते रहेंगे."