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मशीन की जगह हाथ से तैयार हो रही कॉफी, हजारीबाग के लोग खुद खेती कर ले रहे चुस्की - Coffee farming - COFFEE FARMING

How to prepare coffee. हजारीबाग में अब कॉफी की खेती की जा रही है. सबसे खास बात है कि खेती के साथ ही बीज से कॉफी भी तैयार की जा रही है. जल्द ही लोग हजारीबाग की कॉफी की चुस्की लेते नजर आएंगे.

Hazaribag Coffee farming
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 4, 2024, 7:17 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 7:45 PM IST

हजारीबाग: हजार बागों का शहर हजारीबाग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ खेती के लिए भी पूरे देश में जाना जाता है. यहां से टमाटर देश के कोने-कोने में पहुंच रहे हैं. अब वह दिन दूर नहीं जब टमाटर की तरह हजारीबाग से कॉफी भी देश के कोने-कोने में पहुंचेगी. हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र में 110 कॉफी के पौधे तैयार किए गए हैं. कॉफी बनाने की भी शुरुआत कर दी गई है.

जानकारी देते संवाददाता गौरव प्रकाश (ईटीवी भारत)

हममें से कई ऐसे लोग हैं जिनकी सुबह की शुरुआत कॉफी की चुस्की के साथ होती है. अब वह दिन दूर नहीं जब हजारीबाग की कॉफी आपके प्याले में होगी. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी की खेती शुरू की गई है. फिलहाल 110 कॉफी के पौधे लगाए गए हैं. अब इनसे कॉफी तैयार करने का समय भी पूरा हो गया है.

हजारीबाग की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त

कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी की खेती करने वाले किसान एसआर अली बताते हैं कि हजारीबाग के डेमोटांड़ के कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी लगाई गई है. कॉफी की खेती भी अच्छी हुई है. पौधे फलों से लदे हैं. इसे ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया था, जिस तरह से फल आए हैं, उससे साफ है कि हजारीबाग की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त है.

उनका यह भी कहना है कि हजारीबाग जिले की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त है. ऐसे में इसे घर में भी लगाया जा सकता है. साथ ही किसान व्यावसायिक दृष्टिकोण से इसे अपने खेतों में भी लगा सकते हैं. उन्होंने बताया कि शाल, करोंज, आम आदि पेड़ों की जड़ों के नीचे कॉफी के पौधे लगाए गए थे. अब इन पौधों से कॉफी के फल आने लगे हैं.

ऐसे तैयार होता है कॉफी

एसआर अली बताते हैं कि हजारीबाग कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी बनाने की मशीन नहीं है. ऐसे में इसे हाथ से तैयार किया जाता है. कॉफी के फल को पहले एक बर्तन में भूना जाता है. भूनने के दौरान अगर कॉफी जैसी खुशबू आती है, तो बर्तन को उतार दिया जाता है. कुछ देर के लिए छोड़ देने से इसका ऊपरी छिलका अलग हो जाता है. छिलका अलग होने के बाद इसे मिक्सर या जिंक में पीसा जाता है. इस तरह यहां कॉफी तैयार होती है.

उनका कहना है कि हजारीबाग की कॉफी बड़ी कंपनियों द्वारा तैयार की जाने वाली कॉफी से बेहतर है. इसमें मिलावट नहीं होती और यह पूरी तरह जैविक है. उनका यह भी कहना है कि अगर यहां कॉफी तैयार करने की मशीन लगा दी जाए और इसकी खेती का दायरा बढ़ा दिया जाए तो बाजार को हजारीबाग से बेहतर स्वाद वाली कॉफी मिल सकती है.

पहले तैयार करना पड़ता है बीज

एसआर अली बताते हैं कि घर या खेत में कॉफी लगाने से पहले बीज तैयार करना पड़ता है. कॉफी के बीज को रेत में रखा जाता है. 20 से 25 दिनों में बीज अंकुरित हो जाता है. बीज अंकुरित होने के बाद पौधा तैयार होता है. पौधा तैयार होने के बाद उसे खेत में रोप दिया जाता है. पौधे को छायादार जगह पर लगाने की कोशिश की जाती है. जब बीज रेत से अंकुरित हो जाए तो उसे मिट्टी के साथ एक थैले में रखकर पौधा बना लेना चाहिए. फिर पौधा स्वस्थ तैयार होता है.

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Last Updated : Sep 4, 2024, 7:45 PM IST

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