हजारीबाग: हजार बागों का शहर हजारीबाग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ खेती के लिए भी पूरे देश में जाना जाता है. यहां से टमाटर देश के कोने-कोने में पहुंच रहे हैं. अब वह दिन दूर नहीं जब टमाटर की तरह हजारीबाग से कॉफी भी देश के कोने-कोने में पहुंचेगी. हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र में 110 कॉफी के पौधे तैयार किए गए हैं. कॉफी बनाने की भी शुरुआत कर दी गई है.
हममें से कई ऐसे लोग हैं जिनकी सुबह की शुरुआत कॉफी की चुस्की के साथ होती है. अब वह दिन दूर नहीं जब हजारीबाग की कॉफी आपके प्याले में होगी. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी की खेती शुरू की गई है. फिलहाल 110 कॉफी के पौधे लगाए गए हैं. अब इनसे कॉफी तैयार करने का समय भी पूरा हो गया है.
हजारीबाग की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त
कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी की खेती करने वाले किसान एसआर अली बताते हैं कि हजारीबाग के डेमोटांड़ के कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी लगाई गई है. कॉफी की खेती भी अच्छी हुई है. पौधे फलों से लदे हैं. इसे ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया था, जिस तरह से फल आए हैं, उससे साफ है कि हजारीबाग की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त है.
उनका यह भी कहना है कि हजारीबाग जिले की मिट्टी कॉफी के लिए उपयुक्त है. ऐसे में इसे घर में भी लगाया जा सकता है. साथ ही किसान व्यावसायिक दृष्टिकोण से इसे अपने खेतों में भी लगा सकते हैं. उन्होंने बताया कि शाल, करोंज, आम आदि पेड़ों की जड़ों के नीचे कॉफी के पौधे लगाए गए थे. अब इन पौधों से कॉफी के फल आने लगे हैं.
ऐसे तैयार होता है कॉफी
एसआर अली बताते हैं कि हजारीबाग कृषि अनुसंधान केंद्र में कॉफी बनाने की मशीन नहीं है. ऐसे में इसे हाथ से तैयार किया जाता है. कॉफी के फल को पहले एक बर्तन में भूना जाता है. भूनने के दौरान अगर कॉफी जैसी खुशबू आती है, तो बर्तन को उतार दिया जाता है. कुछ देर के लिए छोड़ देने से इसका ऊपरी छिलका अलग हो जाता है. छिलका अलग होने के बाद इसे मिक्सर या जिंक में पीसा जाता है. इस तरह यहां कॉफी तैयार होती है.