जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों के आए दिन आत्महत्या करने से जुडे मामले में गंभीर मौखिक टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि बच्चों की समस्या सिस्टम की गडबडी नहीं है, बल्कि वे अभिभावक हैं जो अपने बच्चों से इतनी ज्यादा उम्मीद करते हैं. कई अभिभावक कहते हैं कि या तो पास हो जाना या वापस मत आना.
ऐसे में बच्चों पर सिस्टम के साथ ही अभिभावकों का भी दबाव बना रहता है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी कोटा के कोचिंग सेंटर्स के विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने के मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद रखते हुए राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि गत मई माह में दिए निर्देशों की क्या पालना की गई. इसके अलावा राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि प्रदेश में कितने कोचिंग संस्थान रजिस्टर्ड हैं.