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Delhi: महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न केस में दिल्ली पुलिस सरकारी गवाह कोच जगबीर सिंह को हटाया

-महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली पुलिस ने कोच जगबीर सिंह को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर हटा दिया है.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

महिला पहलवान यौन उत्पीड़न केस के गवाह से हटाए गए कोच जगबीर
महिला पहलवान यौन उत्पीड़न केस के गवाह से हटाए गए कोच जगबीर (ETV BHARAT)

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने शनिवार को महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में एक गवाह कोच जगबीर सिंह को हटा दिया. इससे पहले उन्हें अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश किया गया था. अब अदालत ने एक अन्य पीड़ित पहलवान के साक्ष्य दर्ज करने के लिए मामले को सूचीबद्ध किया है.

मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को :अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) प्रियंका राजपूत ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव का बयान दर्ज किया कि अभियोजन पक्ष जगबीर सिंह को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर हटाना चाहता है. एसपीपी ने दलील दी कि वह लखनऊ में हुई कथित घटना के संबंध में अदालत के समक्ष पहले ही गवाही दे चुके अन्य अभियोजन पक्ष के गवाहों के समान ही गवाह हैं. मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी. इस बीच, आरोपी बृजभूषण शरण सिंह ने पासपोर्ट बनवाने के लिए एनओसी मांगने के लिए आवेदन दिया है.

बचाव पक्ष के वकील ने रेफरी नरेंद्र से की जिरह :सुनवाई की आखिरी तारीख पर रेफरी नरेंद्र की जांच पूरी हुई. इस मामले में पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर आरोपी हैं और उन पर मुकदमा चल रहा है. बचाव पक्ष के वकील राजीव मोहन ने नरेंद्र से जिरह की. जिरह के दौरान उसने बताया कि मार्च 2022 में लखनऊ में हुए फोटो सेशन के दौरान वह मौजूद था. फोटो शूट के दौरान बृजभूषण शरण सिंह और पीड़ित पहलवान भी मौजूद थे. जिरह के दौरान बचाव पक्ष के वकील राजीव मोहन ने उससे सवाल पूछे थे कि घटना के बाद वह कितनी देर तक उस जगह पर रहा, कौन सी पीड़िता वहां रुकी थी और कितनी देर तक.

अभियोजन पक्ष के गवाह से जंतर-मंतर धरने को लेकर पूछे सवाल :आरोपी के वकील ने गवाह से यह भी पूछा कि क्या उसने 25 मार्च 2022 की फोटो घटना के बाद और पुलिस द्वारा उसका बयान दर्ज करने से पहले किसी पीड़ित से संपर्क किया या फोन किया. अभियोजन पक्ष के गवाह से यह भी पूछा गया कि क्या वह जनवरी 2023 में जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों के धरने में गया था या उसमें शामिल हुआ था. उसने कहा था कि वह सरकारी कर्मचारी होने के कारण न तो जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने में गया था और न ही उसमें शामिल हुआ था. बचाव पक्ष के वकील ने उसे एक फेसबुक पोस्ट दिखाकर सामना किया जिसमें वह पहलवानों के साथ दिखाई दे रहा था. वकील ने पूछा क्या आपने यह तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की थी. रेफरी ने कहा था कि तस्वीर अखाड़े की बैठक की थी. उन्होंने इसे फेसबुक पर पोस्ट नहीं किया, बल्कि केवल शेयर किया.

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