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बस्तर दशहरा पर्व के मुरिया दरबार रस्म में सीएम विष्णुदेव साय, मांझी चालकी के साथ खाया दोपहर का खाना

CM Vishnudeo Sai, Muria Darbar Bastar Dussehra जगदलपुर में बस्तर दशहरा की मुरिया दरबार रस्म मनाई जा रही है. इसमें सीएम विष्णुदेव शामिल हुए हैं.

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 11 minutes ago

MURIA DARBAR RITUAL
मुरिया दरबार रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)

जगदलपुर:बस्तर दशहरे की मुरिया दरबार रस्म मनाई जा रही है. शहर के सिरहसार भवन में मुरिया दरबार लगा है. जिसमें शामिल होने छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय भी पहुंचे.

मांझी चालकी के साथ सीएम साय ने किया भोजन: विष्णुदेव साय ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान साल 1921 में स्थापित आमचो बस्तर क्लब बस्तर दशहरा में संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे मांझी-चालकी, सदस्यों और बस्तर दशहरा पर्व के पारंपरिक सदस्यों के साथ दोपहर का भोजन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने दशहरा समिति के उपाध्यक्ष लक्ष्मण मांझी से चर्चा की. मुख्यमंत्री ने दोपहर के भोजन में बस्तर के पारंपरिक व्यंजनों के साथ सैगोड़ा, उड़द दाल वड़ा, बंगाला चटनी, मिक्स वेज पकोड़ा, चौलाई भाजी, करेला प्याज आलू बैंगन बड़ी, झूड़गा की सब्जी, रायता, पूड़ी, जीरा राइस, दाल तड़का का भी स्वाद लिया.

जगदलपुर दंतेश्वरी मंदिर में सीएम साय ने की पूजा: इससे पहले सीएम विष्णुदेव साय जगदलपुर राजवाड़ा परिसर स्थित मंदिर में मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना की. सीएम ने प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की. सीएम के साथ बस्तर राजपरिवार के कमल चंद भंजदेव, वन मंत्री केदार कश्यप, वनमंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, कांकेर सांसद भोजराज नाग, विधायक किरण देव, कोंडागांव विधायक लता उसेंडी, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी ने भी मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना की.

जगदलपुर दंतेवाड़ा मंदिर में सीएम साय ने की पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)

मुरिया दरबार: बस्तर दशहरा में लगने वाला मुरिया दरबार महत्वपूर्ण रस्मों में से एक है. इस रस्म में रियासत काल में बस्तर के राजा रियासत में रहने वाले लोगों की समस्याएं सुनते थे और मौके पर ही उनका निपटारा किया जाता था. इसी मुरिया दरबार में प्रदेश के सीएम शामिल होते हैं.

600 से ज्यादा सालों से मनाया जा रहा बस्तर दशहरा :विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा 75 दिनों का होता है. बताया जाता है कि साल 1408 में बस्तर के काकतीय शासक पुरुषोत्तम देव को 16 पहियों वाला विशाल रथ भेंट किया गया था.राजा पुरुषोत्तम देव ने जगन्नाथ पुरी से वरदान में मिले 16 चक्कों का रथ बांट दिया था. उन्होंने सबसे पहले रथ के चार चक्कों को भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया. बाकी के बचे हुए 12 चक्कों को दंतेश्वरी माई को अर्पित किया था. तब से बस्तर दशहरा मनाया जा रहा है.

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