रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर खींचतान चल रही है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मार्च 2022 तक कोल कंपनियों पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए की याद दिलायी है. उन्होंने लिखा है कि 2 मार्च 2022 को भी इस बाबत पत्र लिखा गया था. सीएम के मुताबिक राज्य का सामाजिक और आर्थिक विकास माइंस और मिनरल्स से मिलने वाले राजस्व पर आधारित है. 80 प्रतिशत राजस्व कोल माइंस से मिलता है.
सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को बताया है कि वास्ड कोल रॉयल्टी का 2,900 करोड़ रुपए बकाया है. वर्तमान में प्रोसेस्ड कोल के डिस्पैच के बजाए रन ऑफ माइन के आधार पर रॉयल्टी मिल रही है. कई बार डिमांड नोटिस देने के बाद भी कोल कंपनियां इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं. सीएम हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट के पिटिशन नं. 114, 2014 के आदेश का हवाला देते हुए लिखा है कि पर्यावरण क्लियरेंस लिमिट से ज्यादा क्षेत्र में खनन होने पर कंपनियों को मुआवजा देना है. इस मद में करीब 32 हजार करोड़ रुपए का बकाया है. लेकिन कंपनियां पैसा नहीं दे रही हैं.
खास है कि एक तरफ बकाया नहीं दिया जा रहा है और दूसरी तरफ डीवीएस जैसी कंपनियां पेमेंट में थोड़ा भी विलंब होने पर ब्याज जोड़कर वसूली कर रही हैं. उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया है कि एक तरफ बकाया होने पर राज्य सरकार के 12 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि वसूली जा रही है. वहीं राज्य सरकार को जो बकाया मिलना है उसके लिए अलग नीति अपनाई जा रही है. अगर राज्य सरकार भी बकाया पर ब्याज जोड़ती है तो 4.5 प्रतिशत के हिसाब से हर महीने 510 करोड़ रुपए देना होगा.
सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा है कि बकाया नहीं मिलने की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, महिला विकास, बाल विकास से जुड़े कार्य प्रभावित हो रहे हैं. सीएम ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि जिस तरह बिजली बिल बकाया होने पर राज्य सरकार के खाते से ब्याज की वसूली की गई थी, उसी तरह संबंधित कंपनियों से बकाया मिलने तक संबंधित राशि पर ब्याज वसूला जाना चाहिए.