झारखंड

jharkhand

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

ETV Bharat / state

सीएम हेमंत ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कोल कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ है बकाया, ब्याज का बनता है हक, फंड की कमी से विकास प्रभावित - CM Soren Letter on PM Modi

Hemant Soren Letter to PM Modi. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र. पत्र में कोल कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ रुपए का बकाया का जिक्र किया. साथ ही फंड की कमी से प्रदेश में विकास प्रभावित होने की भी बात कही.

cm-hemant-soren-wrote-letter-pm-narendra-modi-dues-coal-companies-ranchi
पीएम मोदी और सीएम हेमंत सोरेन (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर खींचतान चल रही है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मार्च 2022 तक कोल कंपनियों पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए की याद दिलायी है. उन्होंने लिखा है कि 2 मार्च 2022 को भी इस बाबत पत्र लिखा गया था. सीएम के मुताबिक राज्य का सामाजिक और आर्थिक विकास माइंस और मिनरल्स से मिलने वाले राजस्व पर आधारित है. 80 प्रतिशत राजस्व कोल माइंस से मिलता है.

सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को बताया है कि वास्ड कोल रॉयल्टी का 2,900 करोड़ रुपए बकाया है. वर्तमान में प्रोसेस्ड कोल के डिस्पैच के बजाए रन ऑफ माइन के आधार पर रॉयल्टी मिल रही है. कई बार डिमांड नोटिस देने के बाद भी कोल कंपनियां इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं. सीएम हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट के पिटिशन नं. 114, 2014 के आदेश का हवाला देते हुए लिखा है कि पर्यावरण क्लियरेंस लिमिट से ज्यादा क्षेत्र में खनन होने पर कंपनियों को मुआवजा देना है. इस मद में करीब 32 हजार करोड़ रुपए का बकाया है. लेकिन कंपनियां पैसा नहीं दे रही हैं.

पत्र में कोल कंपनियों से बकाया वसूलने की मांग (ईटीवी भारत)
सबसे बड़ा मसला जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है. पिछले कुछ वर्षों में कोल कंपनियों ने 32 हजार एकड़ जीएम लैंड और 6,600 एकड़ जीएम जेजे लैंड का अधिग्रहण किया है. इसको लेकर संबंधित जिलों के डीसी और कोल इंडिया के कंपनियों के साथ हिसाब-किताब भी हुआ है. इस हिसाब से जीएम लैंड मद में 38 हजार 460 करोड़ और जीएम जेजे लैंड मद में 2 हजार 682 करोड़ यानी कुल 41 हजार 142 करोड़ की देनदारी बनती है.
सीएम सोरेन का पीएम मोदी के नाम पत्र (ईटीवी भारत)
सीएम हेमंत सोरेन ने हाल में सुप्रीम कोर्ट के 9 न्यायाधीशों के बेंच से आए फैसले का भी जिक्र किया है. कोर्ट ने माइनिंग और रॉयल्टी के बकाए के लिए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया है. संसद को मिनरल्स पर टैक्स का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार के पास टैक्स वसूली का बहुत कम साधन है. सीएम ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कंपनियां बकाया नहीं दे रही हैं. इसकी जानकारी वित्त मंत्रालय और नीति आयोग को भी दी जा चुकी है. इसका खामियाजा झारखंड के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
कोल कंपनियों के बकाया से प्रदेश में विकास में बाधा की बात कही (ईटीवी भारत)

खास है कि एक तरफ बकाया नहीं दिया जा रहा है और दूसरी तरफ डीवीएस जैसी कंपनियां पेमेंट में थोड़ा भी विलंब होने पर ब्याज जोड़कर वसूली कर रही हैं. उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया है कि एक तरफ बकाया होने पर राज्य सरकार के 12 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि वसूली जा रही है. वहीं राज्य सरकार को जो बकाया मिलना है उसके लिए अलग नीति अपनाई जा रही है. अगर राज्य सरकार भी बकाया पर ब्याज जोड़ती है तो 4.5 प्रतिशत के हिसाब से हर महीने 510 करोड़ रुपए देना होगा.

सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा है कि बकाया नहीं मिलने की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, महिला विकास, बाल विकास से जुड़े कार्य प्रभावित हो रहे हैं. सीएम ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि जिस तरह बिजली बिल बकाया होने पर राज्य सरकार के खाते से ब्याज की वसूली की गई थी, उसी तरह संबंधित कंपनियों से बकाया मिलने तक संबंधित राशि पर ब्याज वसूला जाना चाहिए.

Last Updated : 4 hours ago

ABOUT THE AUTHOR

...view details