मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर:पहली बार जब अपनी मेहनत की कमाई के 20 रुपए मिले तो 150 मीटर ऊंचा पहाड़ भी छोटा लगने लगा. ये रुपए उसे एक एसईसीएल अधिकारी के घर दो डब्बा पानी पहुंचाने से मिले. यहीं से उसकी जिंदगी में एक मोड़ आया और उसने वह कर दिखाया जो प्रशासन के तमाम अधिकारी भी मिलकर नहीं कर सके. दरअसल, हम बात कर रहे हैं एमसीबी जिल के चिरमिरी बरतुंगा के जमुना प्रसाद पांडेय की. ये सालों से कॉलरी क्षेत्र के कई घरों में पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
लंबे समय से पानी की मांग कर रहे नागरिक:चिरमिरी के बरतुंगा काॅलरी की आबादी लगभग 3 हजार है. मुख्य रूप से यहां पर एसईसीएल कालरी कर्मी निवास करते हैं.लंबे समय से स्थानीय नागरिक मांग कर रहे थे कि यहां बरतुंगा के इस तुर्रा में पानी टंकी बनाकर पंप फिट कर पानी को ऊपर तक लाया जाए. पर आज तक निगम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने उनकी बात को नहीं सुना. जो काम आज भी स्थानीय प्रशासन को असंभव लगता था. उस काम को एक अकेले की सोच ने संभव कर दिया है.
अब पाइप के जरिए ऊपर चढ़ने लगा पानी:कुछ समय पहले नीचे से पानी लाते समय जब जमुना के भाई का पैर फिसला और उन्हें चोट आई तब उन्हें एक तरकीब सूझी और उन्होंने तुर्रा का पानी नीचे से ऊपर लाने टंकी में एकत्र किया और लगभग 70 मीटर उपर सिंटेक्स की एक टंकी रखी. छोटा डीजल जनरेटर लगवाया और पानी पाइप के माध्यम से ऊपर चढ़ने लगा. इसके बाद पहाड़ के ऊपर एक और टंकी लगवाई और फिर पानी मिलना आसान हो गया,जिसके बाद पानी को आसपास के लोग भी ले जाने लगे.
हर माह 40 हजार हो जाती है कमाई:जमुना का कहना है, " पानी की हर बूंद कितनी कीमती है? अगर यह जानना है तो एक बार उनके साथ 150 फीट नीचे तुर्रा में उतरकर, वहां से पानी लाकर देखें. वे पिछले 24 सालों से यही काम कर रहे हैं.पिछले 7 दशक से चिरमिरी के लोग इसी तुर्रा का पानी पीने के लिए उपयोग में ला रहे हैं. पहले साइकिल घर-घर पानी पहुंचाता था. पिछले 5 साल से मिनी ट्रक से पानी सप्लाई करता हूं. मैं लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक कर रहा हूं. इस काम में मेरे भाई-बहन भी मदद कर रहे हैं. लोगों के घरों में पानी पहुंचाकर हम हर महीने लगभग 40 हजार रुपए महीने कमा लेते हैं."