बिलासपुर: अरपा नदी में प्रदूषण को रोकने, संरक्षण और संवर्धन को लेकर लगाई गई जनहित याचिका याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने बिना ट्रीटमेंट के 70 नालों के गंदे पानी को प्रत्यक्ष रूप से अरपा नदी में छोड़े जाने की जानकारी दी गई.
राज्य सरकार और नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता आर एस मरहास ने अपना पक्ष रखा. जिसमें बताया गया कि 10 दिसम्बर 2024 को सभी पहलुओं में शपथपत्र दाखिल कर दिया गया है. सुनवाई के दौरान नगर निगम प्रशासन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता मरहास ने कहा कि अभी मौजूद STP के माध्यम से मार्च 2025 तक 60% गंदे पानी को ट्रीटमेंट का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है. वहीं 40 प्रतिशत के लिए एक पुणे की कंपनी से डीपीआर मांगा गया था, लेकिन उसे अनुमति नहीं दी गई है. फंड की कमी भी बताई गई है.
हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वर्तमान में शहर के 70 नालों का गंदा पानी अरपा नदी में जा रहा है. नदी का बचा हुआ पानी के साथ भूमिगत जल भी प्रदूषित हो रहा है. जबकि यह जनहित याचिका 2019 से चल रही है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने नगर निगम प्रशासन पर देरी से काम करने और गंभीरता नहीं लेने की बात कही. वहीं यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत फंड की कोई कमी नहीं है. कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त से एक व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल कर गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए डीपीआर स्टेटस को लेकर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 11 फरवरी को तय की गई है.