नई दिल्ली: बेमौसम बारिश के कारण फसल के नुकसान को लेकर चिंताओं के बीच कृषि विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार को जमीनी स्तर पर किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) प्रणालियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
किसानों के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए विशेषज्ञ धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत को बताया, 'किसानों को मौसम संबंधी अपडेट प्रदान करने के लिए सिस्टम की सीमित संख्या के कारण जमीनी स्तर पर जीकेएमएस का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है.'
मलिक ने कहा, 'सरकार को मौसम को लेकर वास्तविक समय का डेटा प्रदान करने के लिए जीकेएमएस स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि किसान आसानी से अपनी खेती की योजना बना सकें और खेत से अधिक उपज प्राप्त कर सकें. अधिकारी ब्लॉक और पंचायत स्तर पर जीकेएमएस स्थापित करें ताकि जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सके.'
एक अन्य विशेषज्ञ राकेश कुमार कहते हैं, 'कृषि मौसम विज्ञान से किसानों को बहुत मदद मिलती है, लेकिन देशभर में इनकी संख्या बहुत कम है. नतीजतन, किसान इसके वास्तविक लाभ से वंचित रह जाते हैं. स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणाली 85-95 प्रतिशत से अधिक सटीक डेटा प्रदान करती है. यदि टावर प्रणाली 10 किलोमीटर के दायरे में स्थापित की जाती है, तो सटीकता 98-100 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.'
कई विशेषज्ञों ने जमीनी स्तर के किसानों की सुविधा के लिए अधिक जीकेएमएस जोन स्थापित करने पर जोर दिया है, तथा कहा है कि इसके वास्तविक समय के आंकड़े कृषि बीमा मूल्यांकन के दौरान भी सहायक होंगे. उन्होंने कहा कि देश भर के 700 से अधिक जिलों में विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में 127 कृषि-जलवायु क्षेत्रों को कवर करने वाली केवल 130 एग्रोमेट फील्ड इकाइयां (एएमएफयू) वर्तमान में कार्यरत हैं.
आईएमडी अगले पांच दिनों के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर वर्षा, तापमान, सापेक्ष आर्द्रता, बादल आवरण, हवा की गति और दिशा के लिए मध्यम अवधि का मौसम पूर्वानुमान प्रदान करता है. साथ ही मौसम विज्ञान उप-विभाग स्तर पर अगले सप्ताह की वर्षा और तापमान का पूर्वानुमान भी प्रदान करता है.
इस बीच, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा को बताया, 'मौसम पूर्वानुमान के आधार पर, एएमएफयू अपने-अपने जिलों के लिए द्वि-साप्ताहिक कृषि मौसम परामर्श (प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार) तैयार करते हैं. इससे कृषक समुदाय को उपयुक्त फसल और किस्मों के चयन, बुवाई, कटाई, निराई, मड़ाई, सिंचाई कार्यक्रम और उर्वरक अनुप्रयोग जैसे विभिन्न अंतर-कृषि कार्यों के लिए समय चुनने के बारे में आवश्यक निर्णय लेने में मदद मिलती है.'
नई दिल्ली के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र द्वारा जारी पूर्वानुमानों और चेतावनियों के आधार पर देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न जिलों के लिए भारी वर्षा, ओलावृष्टि, लू, शीत लहर और तेज सतही हवा जैसी गंभीर मौसम चेतावनियों के दौरान एएमएफयू द्वारा कृषि के लिए प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान (आईबीएफ) के साथ-साथ संबंधित कृषि-मौसम संबंधी सलाह भी जारी की जाती है.
ठाकुर ने कहा, 'कृषि-मौसम संबंधी सलाह किसान पोर्टल और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पहलों के माध्यम से एसएमएस सहित एक मल्टीचैनल प्रसार प्रणाली के माध्यम से प्रसारित की जाती है. किसान पोर्टल के माध्यम से चक्रवात, गहरे दबाव जैसी चरम मौसम की घटनाओं के दौरान उपयुक्त उपचारात्मक उपायों के साथ एसएमएस-आधारित अलर्ट और चेतावनियां भेजी जा रही हैं.'
मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार तकनीकी प्रगति ने किसानों की पहुंच को और बढ़ाया है. इससे वे मेघदूत और मौसम जैसे मोबाइल ऐप के माध्यम से स्थान-विशिष्ट पूर्वानुमान प्राप्त कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त आईएमडी ने 16 राज्य सरकारों के आईटी प्लेटफॉर्म के साथ अपनी सेवाओं को एकीकृत किया है. इससे किसानों को अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं दोनों में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा मिलती है.
इस मुद्दे पर बात करते हुए उत्तर प्रदेश के किसान अमर पाल ने ईटीवी भारत से कहा, 'हमें मौसम संबंधी कुछ जानकारी भारतीय मौसम विभाग से मिलती है, लेकिन कई बार यह हमें अन्य राज्यों का मौसम डेटा देता है. ऐसे में सारी जानकारी बेकार हो जाती है. हमें बेहतर फसल प्रबंधन के लिए सटीक डेटा की आवश्यकता है.'