छिंदवाड़ा:हाई रिस्क प्रेगनेंसी के दौर से गुजर रही महिलाओं को अस्पताल पहुंचने में देर नहीं होगी, क्योंकि छिंदवाड़ा के सरकारी अस्पतालों में बर्थ वेटिंग होम बनाया गया है. जिसमें ऐसी प्रसूता महिलाएं जिनकी प्रेगनेंसी हाई रिस्क के दायरे में है. उन्हें 7 दिन पहले ही भर्ती कर लिया जाएगा और डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज किया जाएगा.
डिलीवरी की डेट के सात दिन पहले होगी देखरेख
गर्भवती महिलाओं के प्रसव के पूर्व देखरेख के लिए जिला अस्पताल में अलग से व्यवस्था के तहत सरकारी अस्पतालों में बर्थ वेटिंग होम का शुभारंभ सांसद बंटी विवेक साहू द्वारा किया गया. इसमें मुख्यतः हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को और दूरदराज के क्षेत्र की महिलाओं को जिनकी डिलीवरी डेट नजदीक हो, उन्हें भर्ती कर समुचित इलाज दिया जाएगा. वे विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में रहेंगी. इससे प्रसूता मृत्यु पर रोक लगेगी और गांवों से लाते समय रास्ते समय जो इमरजेंसी आती थी, उससे मुक्ति मिल सकेगी.
आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में होती है ज्यादा परेशानी
कई बार आदिवासी और ग्रामीण अंचलों से अस्पताल पहुंचने से पहले ही गर्भवती महिलाओं का घर या एम्बुलेंस में प्रसव हो जाता है. जिसमें जच्चा-बच्चा की जान का जोखिम होता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा बर्थ वेटिंग होम में 7 से 10 दिन तक गर्भवती महिलाओं की सभी जांच व इलाज दिया जाएगा. इसी के साथ गर्भवती के साथ आने वाले बच्चे व अटेंडर के लिए भोजन की व्यवस्था कराई जाएगी. CMHO डॉ एनके शास्त्री ने बताया "हाईरिस्क गर्भवती और दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाली गर्भवती महिलाओं को बर्थ वेटिंग होम तक लाने की जवाबदारी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है.'
जिले के सरकारी अस्पतालों में शुरू हुई व्यवस्था
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके शास्त्री ने बताया कि 'विकासखण्ड अमरवाड़ा, बिछुआ, तामिया, जुन्नारदेव, हर्रई, मोहखेड़ एवं जिला अस्पताल छिंदवाड़ा में बर्थ वेटिंग होम स्थापित किया गया है. जिसमें उच्च जोखिम वाली व दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को प्रसव तिथि के एक सप्ताह पूर्व से ही बर्थ वेटिंग होम में रखा जाएगा. जहां चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टॉफ के द्वारा सभी आवश्यक जांच एवं देख-भाल की जायेगी. यदि कोई हाईरिस्क केस की स्थिति होती है तो उसे उच्च स्वास्थ्य संस्थाओं के लिये रेफर किया जायेगा.