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जंगली फल के आगे टॉनिक भी फेल, इसके कांटेदार पत्ते भी कर देते हैं मालामाल - chhind tree benefits

छिंद या देसी खजूर का पेड़ भारत में नदियों के किनारे पाया जाता है. छिंदवाड़ा जिले की तो पहचान ही छिंद के पेड़ से है. छिंद के फल सेहत के लिए किसी खजाने से कम नहीं है, यह फल पोषण से भरपूर होता है. इसके अलावा छिंद की पत्तियां, झाड़ू, राखी से लेकर कई तरह की घरेलू वस्तुएं बनाने में काम आती हैं. आईये जानते हैं छिंद पेड़ के उपयोग.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 14, 2024, 11:44 AM IST

Chhind fruits leaves are all useful
गुणों से भरपूर छिंद का पेड़ (Etv Bharat Graphics)

Chhind Fruit Benefits: देसी खजूर यानि की छिंद की इन दिनों जंगलों में बहार आई है. इसके पेड़ पर गुच्छो में लदे नारंगी फल लगते हैं, जो खजूर के जैसे स्वाद होते हैं. इसके बीज भी खजूर के बीजों की तरह दिखते हैं. छिंद का फल सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आयुर्वेद के जानकारों का मानना है कि छिंद के फायदों के सामने बाजार में बिकने वाले किसी भी टॉनिक के फायदे कमजोर साबित होते हैं. आईए जानते हैं क्या है देसी खजूर यानि छींद के फायदे.

सेहत के लिए वरदान है छिंद के फल (ETV BHARAT)

चमत्कारिक हैं इसके फल, टॉनिक को करते हैं फेल

वनस्पति शास्त्र की विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि छिंद के तने, जड़, छाल, पत्तियों और फलों के खूब सारे औषधीय गुण हैं. आदिवासी इलाकों में जानकार छिंद के पके फलों को एनीमिया से ग्रस्त लोगों को खिलाते हैं. करीब 100 ग्राम पके हुए छींद के फलों को प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है. पके फलों में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स खूब पाए जाते हैं और शरीर के लिए आयरन भी खूब देते हैं. एनिमिक लोगों में विटामिन B12 के लेवल को बेहतर बनाने के लिए भी ये फल काफी खास है.

छिंद के पेड़ से बनाई गई कला (ETV BHARAT)

दर्द निवारक फल छिंद, पेट की समस्याओं की छुट्टी

डॉ विकास शर्मा ने बताया कि कमर और कुल्हे के दर्द में तेज़ी से राहत देने के लिए वे लोगों को पके हुए छिंद खाने की सलाह देते हैं. छिंद के फल एनाल्जेसिक भी होते हैं यानी इनमें दर्द निवारक गुण भी खूब होते हैं. वर्टिगो और बार-बार सर चकराने की समस्या में भी छिंद के पके फल बढ़िया काम करते हैं. डायटरी फाइबर्स की मात्रा भी खूब होने की वजह से ये पाचन दुरुस्त करता है और पेट की कई समस्याओं की छुट्टी करता है. कैल्शियम भी खूब पाए जाने की वजह से ये हमारे हड्डियों के लिए भी उत्तम है. गांव देहातों में इसकी जड़ों को खोदकर दातून की तरह उपयोग में लाया जाता है. पायरिया, सड़ांध और दांतों की मजबूती के लिए इसे कारगर माना जाता है.

छिंद के पेड़ का उपयोग झाड़ू बनाने में किया जाता है (ETV BHARAT)

पत्ते भी हैं आमदनी का जरिया

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हिसाब से भी छिंद महत्वपूर्ण है. चाहे चटाई बनाना हो, घरों की छत और बाड़ बनाना हो या फिर हाथ पंखें या झाड़ू, छींद की पत्तियां खूब इस्तेमाल की जाती हैं. छींद की पत्तियों से घर को सजाने के लिए कई तरह के सजावटी सामान तैयार किए जाते हैं. इतना ही नहीं आज भी आदिवासी परंपरा के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में शादी विवाह के मौके पर छींद से बना है मुकुट और सेहरा दूल्हा और दुल्हन को पहनाया जाता है. इसको बनाने के लिए ग्रामीण विशेष कला का प्रदर्शन करते हैं. Chhind leaves source of Income

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छिंद के कारण ही छिंदवाड़ा की पहचान

छिंद वह पौधा है, जिसकी बाहुल्यता के आधार पर ही छिंदवाड़ा का यह नाम (छिंद + वाड़ा) पड़ा. इसके पेड़ अत्यंत सूखे मौसम में भी ताजे, मीठे और स्वादिष्ट फल उपलब्ध कराते हैं. इसके पेड़ के भीतर मौजूद कोमल जायलम मिठाई/ पेठे की तरह खाई जाती है जिसे गाबो कहते है. यह बहुत ही पोष्टिक एवम प्राकृतिक शर्करा, विटामिन, प्रोटीन तथा मिनरल्स से भरपूर होती है. इसके फलों का अपना अलग ही स्वाद है, जो कुछ कुछ खजूर की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें गूदा कम होता है. इस समय चारों ओर छींद के फलों की बहार आयी हुई है. इसके फलों की एक बात बहुत अच्छी है कि गुच्छे को तोड़कर घर पर लाकर टांग दो, ये धीरे धीरे पकते जाते हैं, मतलब एक बार लाओ और कई दिनों तक खाते रहो.

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