छिंदवाड़ा: पांढुर्ना के मोहगांव हवेली में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसका अभिषेक सबसे पहले सूर्य देवता अपनी किरणों से करते हैं. बताया जाता है कि विश्व में एकमात्र यही शिव मंदिर है जहां सूर्य की प्रथम किरण सीधे शिवलिंग पर पड़ती है. दावा किया जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन और परिक्रमा से चारों धाम की यात्रा और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है.
गुरु शुक्राचार्य की तपस्या से प्रकट हुए थे अर्धनारीश्वर
मंदिर के सेवक गोपाल बंजारी ने बताया कि "अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध हैं. ये एक ही साथ विराजमान हैं जिसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग कहा जाता है. इसमें आधे शिवजी और आधे में पार्वती जी हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दैत्य गुरु शुक्राचार्य भगवान भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे. उन्होंने सर्पिणी नदी के तट पर तपस्या की थी. यह स्थान मंदिर परिसर में ही है. शुक्राचार्य की तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और शुक्राचार्य ने भगवान से कहा मैं केवल माताजी को आपके साथ देखना चाहता हूं तब भगवान ने अर्धनारीश्वर रूप में उन्हें दर्शन दिए थे. उसी दिन से यहां पर अर्धनारीश्वर भगवान ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए."
सूर्य देव करते हैं शिवलिंग का अभिषेक
मंदिर के सेवक गोपाल बंजारीने बताया कि"इस अर्धनारीश्वर मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय मंत्र पर आधारित है. इसलिए इसकी विशेषता और बढ़ जाती है. बताया जाता है कि अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व के कुछ ही जगहों पर स्थापित है. यहां शिवलिंग पर सूर्य देवता की किरण सबसे पहले पड़ती है. यह धाम चारधाम बद्री, द्वारिका, जगन्नाथपुरी ,रामेश्वरम सहित 12 ज्योतिर्लिंग का त्रिपुरा सुंदरी केंद्र बिंदु है. सनातन पुरातन काल से इस ज्योतिर्लिंग मंदिर से निर्माण संरचना और वास्तु की महामृत्युंजय मंत्र आधारित होने से यह शक्तिपीठ कहलाया."
13वीं सदी में गोंड राजाओं ने कराया था जीर्णोद्धार
13वीं शताब्दी और 15वीं शताब्दी के बीच मंदिर का जीर्णोद्धार देवगढ़ के गोंड राजा और नागपुर के घोसले राजा द्वारा किया गया था. अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग शिव पार्वती के दर्शन करने और सावन सोमवार में पूजन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बड़ी संख्या में भक्तगण भगवान शिव और पार्वती की उपासना करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं सावन सोमवार के महीने में कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन जाता है.