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दैत्य गुरू शुक्राचार्य के लिए अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए थे भगवान शिव, आज भी सूर्यदेव करते हैं सबसे पहले अभिषेक - Chhindwara Ardhanarishwar Temple - CHHINDWARA ARDHANARISHWAR TEMPLE

पांढुर्ना के मोहगांव हवेली में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक सूर्यदेव करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दैत्य गुरु शुक्राचार्य की तपस्या से अर्धनारीश्वर भगवान प्रकट हुए थे. इस शिवलिंग के दर्शन और परिक्रमा से चारों धाम की यात्रा और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है.

CHHINDWARA ARDHANARISHWAR TEMPLE
पांढुर्ना में है अर्धनारीश्वर मंदिर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 11, 2024, 10:41 PM IST

छिंदवाड़ा: पांढुर्ना के मोहगांव हवेली में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसका अभिषेक सबसे पहले सूर्य देवता अपनी किरणों से करते हैं. बताया जाता है कि विश्व में एकमात्र यही शिव मंदिर है जहां सूर्य की प्रथम किरण सीधे शिवलिंग पर पड़ती है. दावा किया जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन और परिक्रमा से चारों धाम की यात्रा और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है.

गुरु शुक्राचार्य की तपस्या से प्रकट हुए थे अर्धनारीश्वर (ETV Bharat)

गुरु शुक्राचार्य की तपस्या से प्रकट हुए थे अर्धनारीश्वर

मंदिर के सेवक गोपाल बंजारी ने बताया कि "अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध हैं. ये एक ही साथ विराजमान हैं जिसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग कहा जाता है. इसमें आधे शिवजी और आधे में पार्वती जी हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दैत्य गुरु शुक्राचार्य भगवान भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे. उन्होंने सर्पिणी नदी के तट पर तपस्या की थी. यह स्थान मंदिर परिसर में ही है. शुक्राचार्य की तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और शुक्राचार्य ने भगवान से कहा मैं केवल माताजी को आपके साथ देखना चाहता हूं तब भगवान ने अर्धनारीश्वर रूप में उन्हें दर्शन दिए थे. उसी दिन से यहां पर अर्धनारीश्वर भगवान ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए."

अर्धनारीश्वर मंदिर (ETV Bharat)

सूर्य देव करते हैं शिवलिंग का अभिषेक

मंदिर के सेवक गोपाल बंजारीने बताया कि"इस अर्धनारीश्वर मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय मंत्र पर आधारित है. इसलिए इसकी विशेषता और बढ़ जाती है. बताया जाता है कि अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व के कुछ ही जगहों पर स्थापित है. यहां शिवलिंग पर सूर्य देवता की किरण सबसे पहले पड़ती है. यह धाम चारधाम बद्री, द्वारिका, जगन्नाथपुरी ,रामेश्वरम सहित 12 ज्योतिर्लिंग का त्रिपुरा सुंदरी केंद्र बिंदु है. सनातन पुरातन काल से इस ज्योतिर्लिंग मंदिर से निर्माण संरचना और वास्तु की महामृत्युंजय मंत्र आधारित होने से यह शक्तिपीठ कहलाया."

पांढुर्ना के मोहगांव हवेली में शिव मंदिर (ETV Bharat)

13वीं सदी में गोंड राजाओं ने कराया था जीर्णोद्धार

13वीं शताब्दी और 15वीं शताब्दी के बीच मंदिर का जीर्णोद्धार देवगढ़ के गोंड राजा और नागपुर के घोसले राजा द्वारा किया गया था. अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग शिव पार्वती के दर्शन करने और सावन सोमवार में पूजन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बड़ी संख्या में भक्तगण भगवान शिव और पार्वती की उपासना करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं सावन सोमवार के महीने में कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन जाता है.

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दर्शन करने से 12 ज्योतिर्लिंग का मिलता है पुण्य लाभ

इस मंदिर में गर्भ गृह के चारों और तीन-तीन दरवाजे हैं. यह दरवाजा अलग-अलग ज्योतिर्लिंग के नाम पर है. यहां भगवान शिव और माता पार्वती का शिवलिंग है. यहां चार प्रवेश द्वार चारों धाम द्वारका, रामेश्वर, जगन्नाथपुरी और बद्रीनाथ धाम के प्रतिकृति के रूप में है. प्रथम एवं द्वितीय प्रदक्षिणा पथ के बीच के बारह द्वार बारह जयोतिर्लिंग का तथा दूसरे और तीसरे परिक्रमा के बीच चार द्वार चार धाम के प्रतीक हैं. इसी के साथ बारह ज्योतिर्लिंग परिसर में विद्यमान हैं. इसकी परिक्रमा से बारह ज्योतिर्लिंग एवं चार धाम की यात्रा का पुण्य फल प्राप्त होता है.

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