सिवनी: कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और ऐसा माना जाता है कि कृषि के क्षेत्र में किसान से बड़ा वैज्ञानिक और कोई नहीं होता. किसान हमेशा नया प्रयोग करके खेती को फायदे का सौदा बनाने का प्रयास करता है. कुछ ऐसा ही किया है सिवनी जिले के कई गांव के किसानों ने, जिन्होंने खरीफ की फसल मक्के को रबी के सीजन में लगा दिया है.
रबी सीजन में लगा दी खरीफ की फसल
आमतौर पर मक्के की फसल खरीफ की फसल कही जाती है. रबी के सीजन में गेहूं, चना, मटर खेतों में लगाई जाती है लेकिन सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा में सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जहां किसानों ने नया प्रयोग करते हुए रबी के सीजन में मक्के की फसल खेतों में लगाई है. जिससे अब खेत लहलहा रहे हैं.
भीमगढ़ बांध से मालामाल हो रहे किसान
सिवनी जिले के भीमगढ़ में वैनगंगा नदी में संजय सरोवर बांध बना हुआ है, जिसका पानी खेतों में सिंचाई के लिए सिवनी और बालाघाट जिले में सप्लाई होता है. छपारा तहसील में 1972 में इस बांध का निर्माण शुरू हुआ था और 1988 में पानी किसानों के खेतों में मिलने लगा था. इसके बाद से ही किसानों की किस्मत चमक गई और किसान मालामाल होते चला गया.
किसानों ने बदला तरीका, सिंचाई से उपज रहा मक्का
सिवनी जिले के चावरमारा गांव के किसान भारत राय ने बताया कि "आमतौर पर मक्के की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है क्योंकि यह मानसूनी बारिश पर आधारित होता है. भीमगढ़ बांध का पानी मिलने की वजह से रबी के सीजन में भी पानी की यहां भरपूर सप्लाई होती है. पानी मिलने के कारण मक्के की उपज भी अधिक होती है और लागत भी गेहूं की अपेक्षा कम लगती है, साथ ही बाजार में दाम भी ज्यादा मिलते हैं. इसी कारण इस इलाके की सैकड़ों एकड़ जमीन में किसानों ने अब गेहूं की फसल छोड़कर मक्के की फसल लगाना शुरू किया है जिसके परिणाम भी बेहतर मिल रहे हैं."
'सिंचित खेती में मिलता है अधिक उत्पादन'
मक्के पर शोध करने वाले वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ विजय पराड़कर ने बताया कि "रबी सीजन में मक्के की खेती, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों और प्रदेश के अन्य सिंचित भागों में की जा सकती है. रबी सीजन में मक्का की खेती करने से किसानों को कई फायदे होते हैं. उन्होंने बताया कि रबी सीजन में मक्के की खेती से खरीफ की तुलना में डेढ़ से दोगुनी ज्यादा पैदावार होती है. इसके अलावा मक्का की पैदावार गेहूं की तुलना में ज्यादा होती है."
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इस तरह से रबी में करें मक्के की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉ विजय पराड़कर ने बताया कि "रबी सीजन में मक्का की खेती में खाद, उर्वरक और सिंचाई की जरूरत गेहूं की तुलना में कम होती है. मक्का का पौधा सूखा सहन कर सकता है. दोमट मिट्टी में मक्का की खेती अच्छी होती है. मिट्टी को एक-दो बार जुताई करने के बाद भुरभुरा कर लें,बीजों को शोधित करके बोना चाहिए. बीज जनित रोगों से बचने के लिए हर किलोग्राम बीज में 2.5 ग्राम थीरम या 50 प्रतिशत बावेसटीन मिलाएं. कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंटीमीटर होनी चाहिए."