गौरेला पेंड्रा मरवाही :छ्त्तीसगढ़ में स्कॉलरशिप घोटाला करने के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप हैं कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आदिवासी छात्रों के लिए आई शिष्यवृत्ति राशि को जिम्मेदारों ने डकार लिया.ये आरोप भी और किसी ने नहीं बल्कि छात्रावास के अधीक्षकों ने ही लगाए हैं. ऐसे में मामला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है. छात्रावास में रहने वाले बच्चों को परीक्षा के बाद 22 मार्च को छुट्टी दे दी गई.इसके बाद अप्रैल माह में बच्चों की शिक्षावृत्ति छात्रावास के खाते में आई. इसी राशि पर अफसरों की नीयत डोल गई.
स्कॉलरशिप घोटाला:छात्रावास में रहने वाले छात्र-छात्राओं को उनके भोजन,नाश्ता और दूसरी व्यवस्था के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह शिष्यावृत्ति शासन जारी करता है. जिले में 20 छात्रों के छात्रावास से लेकर 200 छात्रों की वाले छात्रावास बनाए गए हैं.जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी छात्रावास अधीक्षकों पर है. निगरानी के लिए नोडल ऑफिसर के साथ आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त समेत पूरी टीम काम में लगी रहती है.लेकिन इन्हीं अफसरों की निगरानी में ही छात्रों की राशि के बंदरबांट का आरोप लगा है.
क्या है मामला ?: स्कूल शिक्षा विभाग ने 22 अप्रैल से बढ़ती गर्मी को देखते हुए सभी छात्रों के स्कूल आने पर रोक लगाते हुए आधिकारिक छुट्टी घोषित की थी.यानी एक माह पहले ही स्कूल बंद कर दिए गए. लिहाजा सारे बच्चे अप्रैल में ही घर चले गए.लेकिन शासन की ओर से अप्रैल माह की शिष्यावृत्ति जारी हुई. इस दौरान पेंड्रा गौरेला और मरवाही विकासखंड के तीनों नोडल अधिकारियों को मौखिक निर्देश जारी हुए कि शिष्यावृत्ति राशि का 50 प्रतिशत सहायक आयुक्त कार्यालय में लाकर जमा करें.25 फीसदी राशि को चालान के माध्यम से बैंक में जमा करें. 15 जून तक ये राशि कहे अनुसार जमा करा दी गई.इस दौरान कुछ अधीक्षकों ने मामले की जानकारी मीडिया को दे दी.
क्या है अधीक्षकों का कहना ?:इस पूरे मामले में अधीक्षकों ने साफ कहा है कि कार्यालय से सीधे निर्देश मिल रहे थे कि शिष्यवृति की 50% की राशि सहायक आयुक्त तक पहुंचाई जाए. इसलिए साहब का निर्देश मानते हुए राशि या तो नोडल अधिकारियों के माध्यम से पहुंचाई गई या तो सीधे साहब को ही दे दी गई.आप आप अंदाजा लगाईए यदि 20 छात्रों की राशि आई तो इस हिसाब से 50 फीसदी राशि यानी 15 हजार रुपए सहायक आयुक्त, 7500 रुपए अधीक्षक के पास पहुंचे.वहीं 7500 रुपए बैंक में जमा हो गए.वहीं कुछ छात्रावासों में 100 छात्र हैं तो ये राशि पांच गुना तक बढ़ जाती है.