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बच्चों के यौन उत्पीड़न के केसों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट - Chhattisgarh High Court - CHHATTISGARH HIGH COURT

बिलासपुर हाईकोर्ट ने बच्चों से जुड़ी यौन उत्पीड़न की घटनाओं को गंभीरता से लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्ती से निपटना चाहिए.

CHILD SEXUAL ABUSE CASES
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 22, 2024, 10:25 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने 16 साल की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 20 साल की सजा को उचित करार दिया है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को जारी रखा. इसके साथ ही दोषी की अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान कहा कि इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्ती बरतने की जरूरत है.

रायगढ़ में नाबालिग से हुआ था दुष्कर्म: रायगढ़ में 16 अगस्त 2021 को एक मानसिक रूप से विक्षित 16 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म की वारदात हुई थी. आरोपी ने मानसिक रूप से कमजोर बच्ची को बहला फुसलाकर अपने घर में बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. इस केस में पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.इस केस में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 20 साल के कैद की सजा सुनाई. जिसके खिलाफ आरोपी हाईकोर्ट पहुंचा था.

हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को किया खारिज: इस केस में बिलासपुर हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता की गवाही विश्वसनीय पाई जाती है तो केवल उसके आधार पर ही सजा दी जा सकती है. इस केस को लेकर चीफ जस्टिस ने कहा कहा कि पॉक्सो मामले में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. अगर न्यायालय ऐसे सबूतों को विश्वसनीय और संदेह से मुक्त मानता है, तो उनकी पुष्टि करने पर शायद ही कोई जोर दिया जाए. कोर्ट ने इस संदर्भ में कहा कि ऐसे अपराधों के दीर्घकालिक प्रभाव पड़ते हैं और बच्चों के मन पर इस घृणित कार्य का प्रभाव आजीवन रहेगा.

पॉक्सो से जुड़े मामले में कठोर फैसला लेने की जरूरत: कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो से जुड़े मामले में कठोरता से फैसला लेने की जरूरत है. इसमें किसी तरह की कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए.

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