रायपुर: पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने रायपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई विषयों पर अपने विचार रखे. संविधान को लेकर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि देश का संविधान ऐसा होना चाहिए जो यमराज को भी मान्य हो. अगर मनुस्मृति को भी मानेंगे तो यह यमराज को भी मान्य होगा. आधुनिक संविधान तो यमराज को मान्य नहीं है. इसलिए संविधान ऐसा होना चाहिए जो लौकिक और परलौकिक दोनों हो.
प्रदीप मिश्रा पर बयान देने से किया इंकार: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के बच्चों को रंग बिरंगे कपड़े पहनाने वाले बयान पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कोई कथावाचक कुछ बोलता है उसको लेकर मैं एक एक कथावाचक की समीक्षा करूंगा वह संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से जो नहीं सुलझता ऐसे केस मेरे पास आता है, आपको समझना चाहिए कि आप कहां बैठे हैं.
सेवा के नाम पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाना यह सेवा है या हिंदुओं के अस्तित्व आदर्श पर प्रहार है. पहले आरएसएस के प्रमुख सुदर्शन जी थे वे मेरे पास साल में दो चार बार आते थे. रोम में जो ईसा मसीह की जो प्रतिमा में वैष्णव तिलक है. वैष्णव तिलक क्या कहता है. जम्मू में उन्होंने शरीर छोड़ा वहां पर कब्र है उनकी इससे क्या सिद्ध होता है- शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
हाथी से हल नहीं जोतवाया जाता है. हमारा संविधान अडिग है. शेर की संख्या तो कम होती है लेकिन शेर को दुर्बल नहीं माना जाता है. हिंदुओं की संख्या कम हो इसके हम पक्षधर नहीं. शिक्षा, रक्षा, अर्थ और सेवा के प्रकल्प सदा संतुलित रहे. मातृ शक्ति सुरक्षित रहे, बिना परिवार नियोजन और गर्भपात के जनसंख्या सुरक्षित रहे. हर व्यक्ति की जीविका जन्म से सुरक्षित रहे. अज्ञान के कारण वर्ण व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गई- शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
जिस देश में हिंदु नहीं है. जहां दूसरे देश में दूसरे धर्म के लोग हैं वहां देखिए संघर्ष और मारकाट है. जब तक हिंदु है तब तक कोई कौम सुरक्षित है-शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
माता का किसी इंसान पर पहला स्थान है. उसके बाद पिता का स्थान है. जगदीश्वर की जननी होने का अधिकार सनातन धर्म में माता को प्राप्त है. जगदीश्वर का कान पकड़ने का अधिकार माता को है. मातृशक्ति का स्थान सर्वोपरि है- शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
"शास्त्र सम्मत बातों को मानना चाहिए": शंकराचार्य ने मोहन भागवत को लेकर कहा कि जिन्हें बारह महीने बोलना है वो तो कुछ भी बोल देते हैं. मोहन भागवत आलोचना के नहीं, बल्कि दया के पात्र हैं. स्वयं सेवक बनते-बनते सरसंघचालक बन जाते हैं. उनके पास गुरु, ग्रंथ और गोविंद का बल नहीं है. शंकराचार्य ने कहा कि लोगों को शास्त्र की बात सुननी चाहिए. योगी और मोदी जी को मैं पहले से जानता हूं. हिंदू महासभा से योगी जी आए और मोदी जी आरएसएस से आए. मोदी हों, योगी हों, मोहन भागवत हों. जो बात शास्त्र के अनुसार हो. उसको सुनना चाहिए.