कोरबा: देश में जातिगत जनगणना को लेकर घमासान मचा हुआ है. हालांकि यह कब होगा इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है. लेकिन पशु विभाग ने पशुओं की हर 5 साल में होने वाली पशुओं की जनगणना जरूर शुरू कर दी है. इससे पता लगाया जाएगा कि गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी जैसे ऐसे पालतू जानवर, जिन्हें पशुधन समझा जाता है, उनकी संख्या कितनी है. पशुधन समझे जाने वाले पशुओं को व्यावसायिक तौर पर पालकर लोगों की आजीविका चलती है. इनसे मिले उत्पादों से दूध, दही और मिठाइयों बनती है. शाकाहार और मांसाहार दोनों तरह के लोगों के लिए ऐसे जानवर बेहद महत्वपूर्ण होते हैं.
सितंबर से शुरू हो चुकी है 21वीं पशु जनगणना:राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत प्रत्येक 5 साल में पशुओं की जनगणना कराई जाती है. यह जनगणना पशु विभाग की ओर से कराई जाती है. इस दौरान यह पता लगाया जाता है कि जिन जानवरों को व्यवसायिक तौर पर पाला जाता है, उनकी संख्या कितनी है? पालतू जानवरों को पालने वाले लोग इनके दूध निकाल कर बाजारों तक पहुंचाते हैं, जिनसे कई तरह के उत्पाद बनते हैं.
सितंबर के अंत तक किया जाएगा पूरा: वहीं, बकरी और मुर्गियों का व्यापार भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, जिसे मांसाहारी लोग भोजन के तौर पर उपयोग करते हैं. इसके अलावा सुअर सहित अन्य तरह के पालतू जानवरों को भी इस जनगणना में शामिल किया जाता है. वर्तमान में जो जनगणना की जा रही है, वह देश आजाद होने के बाद से लेकर अब तक की 21वीं जनगणना है, जिसे सितंबर के अंत तक पूरा किया जाएगा.