मधुबनी: लोक आस्था का महापर्व छठ के तीसरे दिन छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. कमला बलान नदी के परतापुर घाट पर चचरी पुल के सहारे छठ व्रती घाट पहुंचे. चचरी के सहारे नदी पार कर छठ पर्व माने के लिए घाट पहुंचते हैं. हालांकि हर वक्त काफी खतरा भी बना रहता है. पूजा कमेटी के सदस्य इसपर नजर बनाए रखे हुए रहते हैं. कतारवध कर लोगों को जाने की अनुमति दी जाती है ताकि किसी प्रकार की घटना ना हो. कमला पूजा कमेटी के सदस्य के साथ-साथ प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहता है.
यहां खुद लोग खुद बनाते हैं चचरी पुल: बताया जाता है कि लोगों ने खुद ही इस चचरी पुल का निर्माण किया है. जिससे भारी तादाद में छठ के दौरान छठ व्रती गुजरते हैं. ऐसे में ये पुल कभी भी टूट सकता है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल, मजिस्ट्रेट, गोताखोर एसडीआरएफ की टीम की तैनाती की गई है. एसडीआरएफ की टीम नाव लेकर चक्कर लगाते नजर आई. वैसे देर शाम तक परतापुर घाट पर मजिस्ट्रेट नहीं पहुचे थे. कमला बलान नदी के प्रतापपुर घाट पर चचरी पुल काफी संवेदनशील रहता है.
चचरी पुल से सहारे जाते है छठ व्रती:झंझारपुर नगर परिषद के कमला नदी के परतापुर घाट पर यह चचरी पुल बनाया जाता है. प्रत्येक साल यह चचरी पुल पर्व के लिए बनाया जाता है. भारी संख्या में श्रद्धालु यहां छठपर्व मनाने दूर-दूर से आते हैं. झंझारपुर नगर परिषद का परतापुर घाट कमला नदी के किनारे बसा है. परतापुर घाट लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के लिए पौराणिक घाट है. यहां सैकड़ों की संख्या में छठ व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
हर वक्त बना रहता है खतरा: बताया जाता है कि तटबंध के सटे पानी के बहाव होने के कारण धार से पश्चिम जाकर अर्घ्य देना मजबूरी हो गया है. इसके लिए हर साल चचरी पुल बनाया जाता है. इस साल दो हजार से अधिक लोग छठ पर्व माने के लिए पहुंचे हैं. कमला पूजा का भी भव्य आयोजन किया जाता है. वार्ड पार्षद गंगा यादव ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से चंदा के रूप में दिया जाता. नदी पार कर छठ पर्व बनाते हैं.