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खजुराहो के 400 साल पुराने गुलगंज किले में छिपा है अनमोल खजाना, महारानी की आत्मा करती है दरों दीवार की रक्षा ! - Gulganj Khajuraho Fort Treasure

सिर्फ खजुराहो ही नहीं, छतरपुर के इस किले को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं पर्यटक, आज भी यहां रहती हैं 'रानी की आत्मा'. जानें इस किले से जुड़े रोचक तथ्य.

mysterious fort gulganj of khajuraho
छतरपुर का गुलगंज किला और उसका रहस्य (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 12:16 PM IST

Updated : May 14, 2024, 3:21 PM IST

छतरपुर.मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिर विश्वप्रसिद्ध हैं. पर खजुराहो में एक ऐसी जगह भी है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. यहां मौजूद 400 साल पुराना किला किसी रहस्य से कम नहीं है. स्थानीय लोगों का मानना है कि आज भी रात के वक्त इस किले में गुलगंज की रानी की आत्मा आती है. गुलगंज का किला अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है‌ और इस रहस्यों के चलते इसे दूर-दूर से पर्यटक देखने भी आते हैं.

छतरपुर का गुलगंज किला (ETV BHARAT)

गुलगंज पहाड़ियों के शिखर पर मौजूद है किला

छतरपुर मुख्यालय से 39 किमी दूर राष्ट्रिय राजमार्ग 86 पर अनगौर के नज़दीक गुलगंज किला स्थित है. गुलगंज पहाड़ी के शिखर पर 400 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता. ये किला बुंदेली स्थापत्य और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा संरक्षित स्मारक ये किला बिजावर महराज द्वारा बनवाया गया था. ये एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है पर स्थानीय लोग इस किले को रहस्यमयी भी बताते हैं.

छतरपुर का गुलगंज किला (ETV BHARAT)

अंदर मौजूद हैं कई सुरंगें और भूमिगत कमरे

बिजावर से मात्र साढ़े 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस किले का निर्माण रक्षा शैली पर आधारित है. मुख्य किला दो भागों में विभाजित है. किले में दो द्वार भी हैं. किले में अनेकों भूमिगत कमरे और गुप्त सुरंगे भी हैं, जो किले से बाहर ले जाती हैं.

बुंदेला शासक ने कराया था निर्माण
छतरपुर का गुलगंज किला (ETV BHARAT)

गुलगंज किला लंबी दूरी से दिखाई देता है. इसका विकास बुंदेली वास्तुकला में बुंदेला शासकों के शासनकाल के दौरान हुआ था. इसका निर्माण 18वीं शताब्दी के आसपास शासक सावंत सिंह ने करवाया था. इसका नाम गुलगंज उनकी पत्नी गुल बाई के नाम से लिया गया प्रतीत होता है.

छतरपुर का गुलगंज किला (ETV BHARAT)

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आज भी आती है रानी की आत्मा

स्थानीय लोग बतात हैं कि बिजावर महराज ने अपने खजाना को इसी किले में सुरक्षित छुपाया था. राजा सावंत सिंह ने अपनी पत्नी गुलबाई को ये गांव और किला उपहार स्वरूप दे दिया था. बाद में गुलबाई के नाम पर ही इसका नाम गुलगंज पड़ा. ऐसा माना जाता है कि किले में 400 सालों से राजा का खजाना मौजूद है, जिस वजह से रानी गुलबाई की आत्मा इस किले और खजाने की रक्षा करती है.

Last Updated : May 14, 2024, 3:21 PM IST

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