छतरपुर: यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल खजुराहो में एक ऐसा आदिवासी गांव बसाया गया है, जहां सात जनजातियों की सांस्कृतिक विरासत झलकती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां सातों जनजातियों के रहवास और उनकी कला संस्कृति को उसी जनजाति के कलाकार ने तैयार किया है. आदिवासी व्यंजनों, बुंदेली कला और गीतों के माध्यम से खजुराहो में आने वाले देश, विदेशों के पर्यटकों को कला और संस्कृति से रूबरू करवाते हैं.
छतरपुर के जनजातीय संग्रहालय में देशज समारोह की धूम, पर्यटकों को खूब भा रहा रंगारंग कार्यक्रम - DESHAJ SAMAROH KHAJURAHO
मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय खजुराहो में सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को देशज समारोह आयोजन.
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Jan 5, 2025, 9:15 AM IST
मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित 'आदिवर्त' जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय खजुराहो में स्थित है. यहां प्रत्येक शनिवार और रविवार को नृत्य, नाट्य, गायन समेत वादन पर केन्द्रित समारोह 'देशज' का आयोजन किया जाता है. जो खजुराहो आने वाले देशी विदेशी सैलानियों को खूब भाता है. यहां की कला संस्कृति वेशभूषा, नृत्य, गायन को दुनियाभर के लोगों के सामने रखने का एक अनोखा तरीका बन गया है.
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देशज समारोह शुरू होने से आम लोगों को कितना फायदा
शनिवार को मुकेश दरबार और नेपानगर ने आयोजन की शुरुआत भोगोरियाल नृत्य के शानदार प्रदर्शन से किया. वहीं कलाकार सुषमा शुक्ला की ओर से बघेली लोकगीत की प्रस्तुति दी गई. कई कलाकारों ने बुंदेली लोकगीत की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम पर छतरपुर के बुंदेली कलाकार जगपाल सिंह बुंदेला ने कहा, जब से खजुराहो के जनजातीय संग्रहालय में शनिवार और रविवार देशज समारोह का आयोजन शुरू हुआ है, हम कलाकारों को मंच के साथ काम भी मिलने लगा है. देशज मंच के जरिए हमारी बुंदेली कला, गायन देश दुनिया भर में जा रही है. यहां आने वाले देशी और विदेशी लोग संस्कृति को पेश करने का एक जरिया बन गए हैं.