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अभी तक लागू क्यो नहीं हुआ फेस स्कैन से आधार-बेस्ड पेमेंट, जानें - AADHAAR BASED PAYMENTS

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा शुरू किया फेशियल रिकग्निशन के जरिए आधार-बेस्ड पेमेंट बैंकों ने अभी तक लागू नहीं किया है.

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फेस स्कैन से आधार-बेस्ड पेमेंट (सांकेतिक तस्वीर Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 8, 2025, 10:47 AM IST

नई दिल्ली: कोविड के चरम के दौरान नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने फेशियल रिकग्निशन के जरिए आधार-बेस्ड पेमेंट शुरू किया था, लेकिन एक साल बाद भी यह लागू नहीं हो पाया है. इसे उन बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक लागू नहीं किया है, जिनके पास लाखों ग्राहक हैं. इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.

ये बैंक चाहते हैं कि आधार का एडमिनिस्ट्रेटर इस सर्विस का डेस्कटॉप या लैपटॉप वर्जन बनाए. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में बैंकिंग उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, " फेशियल रिकग्निशन के माध्यम से पेमेंट की सर्विस इसलिए शुरू नहीं हुई है, क्योंकि वर्तमान में केवल 23 बैंक ही यह सेवा दे रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वेब-बेस्ड सोल्यूशन की मांग की है, जिसे UIDAI अभी भी विकसित कर रहा है."

वर्तमान में यूनीक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने फेशियल रिकग्निशन से पेमेंट करने की अनुमति देने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन डेवलप किया है. चूंकि पीएसयू बैंकों ने कियोस्क बैंकिंग में भारी निवेश किया है, इसलिए वे चाहते हैं कि UIDAI एक वेब- बेस्ड सोल्यूशन पेश करे.

पेमेंट के अन्य तरीकों से सस्ता है फेशियल रिकग्निशन
एक अन्य बैंकिंग अधिकारी ने कहा, "एसबीआई कियोस्क बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़ा प्लेयर है. विशुद्ध रूप से लॉजिस्टिक्स और लागत के दृष्टिकोण से, फेस ऑथेंटिकेशन अधिक सेंस वाला माना जाता है, यह भुगतान के अन्य तरीकों की तुलना में बहुत सस्ता है. अंगूठे के निशान स्कैन या आईरिस स्कैनर के विपरीत फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से किए गए लेन-देन के लिए किसी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती है."

फेशियल रिकग्निशन एडवांस टोक्नोलॉजी
दूसरी ओर फेशियल रिकग्निशन के लिए केवल एंड्रॉयड वर्जन 7 और उससे ऊपर के स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस की आवश्यकता होती है. फेशियल रिकग्निशन एक ज्यादा एडवांस तकनीक है, जिसका उद्देश्य फिंगरप्रिंट-बेस्ड और आधार-सक्षम लेनदेन को बदलना है, जहां फेलियर रेट 20 प्रतिशत के करीब है. दिसंबर 2024 के अंत में आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम (AePS) ने लगभग 93 मिलियन लेनदेन संसाधित किए, जो नवंबर में दर्ज 92 मिलियन लेनदेन से मामूली वृद्धि है. नवंबर में 23,844 करोड़ रुपये की तुलना में लेनदेन की वैल्यू भी मामूली रूप से बढ़कर 24,020 करोड़ रुपये हो गया था.

2020 में फेशियल रिकग्निशन का टेस्ट
अगस्त 2020 में एनपीसीआई ने यूआईडीएआई की मंजूरी सेचार प्रमुख बैंकों के साथ फेशियल रिकग्निशन का टेस्ट शुरू किया था. इन बैंकों ICICI बैंक, यस बैंक, आरबीएल बैंक और फिनो पेमेंट्स बैंक थे. पहले चरण में गैर-वित्तीय लेनदेन पर टेस्ट किया गया और फिर बाद में वित्तीय लेनदेन के लिए खोल दिया गया.

इस मैथड का इस्तेमाल जन धन बैंक खातों का उपयोग करने वाले लाभार्थियों के आधार प्रमाणीकरण के लिए किया जाना था ताकि वे सरकारी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) पेआउट और डोमेस्टिक ट्रांसपर तक पहुंच सकें.

यह भी पढ़ें- पीएफ अकाउंट से 68-बी के तहत कितना निकाल सकते हैं पैसा? जानें

नई दिल्ली: कोविड के चरम के दौरान नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने फेशियल रिकग्निशन के जरिए आधार-बेस्ड पेमेंट शुरू किया था, लेकिन एक साल बाद भी यह लागू नहीं हो पाया है. इसे उन बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक लागू नहीं किया है, जिनके पास लाखों ग्राहक हैं. इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.

ये बैंक चाहते हैं कि आधार का एडमिनिस्ट्रेटर इस सर्विस का डेस्कटॉप या लैपटॉप वर्जन बनाए. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में बैंकिंग उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, " फेशियल रिकग्निशन के माध्यम से पेमेंट की सर्विस इसलिए शुरू नहीं हुई है, क्योंकि वर्तमान में केवल 23 बैंक ही यह सेवा दे रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वेब-बेस्ड सोल्यूशन की मांग की है, जिसे UIDAI अभी भी विकसित कर रहा है."

वर्तमान में यूनीक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने फेशियल रिकग्निशन से पेमेंट करने की अनुमति देने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन डेवलप किया है. चूंकि पीएसयू बैंकों ने कियोस्क बैंकिंग में भारी निवेश किया है, इसलिए वे चाहते हैं कि UIDAI एक वेब- बेस्ड सोल्यूशन पेश करे.

पेमेंट के अन्य तरीकों से सस्ता है फेशियल रिकग्निशन
एक अन्य बैंकिंग अधिकारी ने कहा, "एसबीआई कियोस्क बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़ा प्लेयर है. विशुद्ध रूप से लॉजिस्टिक्स और लागत के दृष्टिकोण से, फेस ऑथेंटिकेशन अधिक सेंस वाला माना जाता है, यह भुगतान के अन्य तरीकों की तुलना में बहुत सस्ता है. अंगूठे के निशान स्कैन या आईरिस स्कैनर के विपरीत फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से किए गए लेन-देन के लिए किसी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती है."

फेशियल रिकग्निशन एडवांस टोक्नोलॉजी
दूसरी ओर फेशियल रिकग्निशन के लिए केवल एंड्रॉयड वर्जन 7 और उससे ऊपर के स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस की आवश्यकता होती है. फेशियल रिकग्निशन एक ज्यादा एडवांस तकनीक है, जिसका उद्देश्य फिंगरप्रिंट-बेस्ड और आधार-सक्षम लेनदेन को बदलना है, जहां फेलियर रेट 20 प्रतिशत के करीब है. दिसंबर 2024 के अंत में आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम (AePS) ने लगभग 93 मिलियन लेनदेन संसाधित किए, जो नवंबर में दर्ज 92 मिलियन लेनदेन से मामूली वृद्धि है. नवंबर में 23,844 करोड़ रुपये की तुलना में लेनदेन की वैल्यू भी मामूली रूप से बढ़कर 24,020 करोड़ रुपये हो गया था.

2020 में फेशियल रिकग्निशन का टेस्ट
अगस्त 2020 में एनपीसीआई ने यूआईडीएआई की मंजूरी सेचार प्रमुख बैंकों के साथ फेशियल रिकग्निशन का टेस्ट शुरू किया था. इन बैंकों ICICI बैंक, यस बैंक, आरबीएल बैंक और फिनो पेमेंट्स बैंक थे. पहले चरण में गैर-वित्तीय लेनदेन पर टेस्ट किया गया और फिर बाद में वित्तीय लेनदेन के लिए खोल दिया गया.

इस मैथड का इस्तेमाल जन धन बैंक खातों का उपयोग करने वाले लाभार्थियों के आधार प्रमाणीकरण के लिए किया जाना था ताकि वे सरकारी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) पेआउट और डोमेस्टिक ट्रांसपर तक पहुंच सकें.

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