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मुघल आक्रांताओं के काल महाराज छत्रसाल की गद्दी पूजा, औरंगजेब से लिया था पिता की हत्या का बदला

छतरपुर स्थापना दिवस पर महाराज छत्रसाल को किया गया याद, 22 वर्ष की उम्र में मुगलिया सल्तनत के विरुद्ध फहराया था विद्रोह का परचम.

HISTORY OF CHHATARPUR DIST
छतरपुर में महाराज छत्रसाल के गद्दी की हुई पूजा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 11, 2024, 12:43 PM IST

छतरपुर: बुंदेलखंड की आन-बान और शान कहे जाने वाले महाराजा छत्रसाल द्वारा अक्षय नवमी के दिन सन 1707 में छतरपुर नगर की स्थापना की गई थी. रविवार को स्थापना के 317 वर्ष हो चुके हैं. इस गौरव पूर्ण दिवस को समारोह पूर्वक पूरे शान शौकत से छतरपुर में मनाया गया. महाराजा छत्रसाल बुदेंला ने औरंगजेब को युद्ध में पराजित करके बुंदेलखंड में अपना राज स्थापित किया था.

317 साल पहले की गई थी छतरपुर की स्थापना

317 साल पहले स्थापित की गई छत्रसाल की गद्दी का रविवार को धूमधाम से पूजन किया गया. भोपाल स्वदेश समूह के राजेंद्र शर्मा द्वारा महाराजा छत्रसाल की गद्दी का पूजन किया गया. बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल स्मारक में इस आयोजन को गरिमापूर्ण तरीके से मनाया गया.

महाराज छत्रसाल बुंदेला के गद्दी की हुई पूजा (ETV Bharat)

औरंगजेब ने की थी महाराज के पिता की हत्या

इतिहासकार शंकर लाल सोनी बताते हैं, ''12 वर्ष की उम्र से महाराजा छत्रसाल ने बिना सगे संबंधियों के सहयोग के मुघल आक्रांताओं के विरुद्ध जंग छेड़ दी थी. उन्होंने सबसे पहले गहने बेचकर धन की व्यवस्था की. फिर संसाधन जुटाकर मात्र 5 घुड़सवारों और 25 तलवारबाजों की सेना के साथ 22 वर्ष की उम्र में मुगलिया सल्तनत के विरुद्ध विद्रोह का परचम फहराया दिया था. छत्रसाल के पिता चंपतराय की हत्या औरंगजेब ने की थी. महाराज छत्रसाल और उनके एक सलाहकार ने इसी वजह से औरंगजेब से बदला लेने की योजना बनाई थी.''

महाराज छत्रसाल के गद्दी की पूजा करते हुए लोग (ETV Bharat)

औरंगजेब को तड़पा-तड़पाकर मारा

योजना के मुताबिक महाराज छत्रसाल के सलाहकार ने एक खास प्रकार के जहर वाला खंजर उन्हें दिया. महाराज को योजना समझाते हुए बताया कि यह खंजर औरंगजेब को पूरा नहीं मारना है. अन्यथा वह तत्काल मर जाएगा. खंजर से उसे केवल एक लंबा सा एक चीरा मारना है. बुन्देला वीर महाराजा छत्रसाल ने इस कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया और जैसा उनके सलाहकार ने कहा था ठीक उसी प्रकार औरंगजेब के शरीर पर एक चीरा जैसा घाव कर दिया, जिससे वह 3 महीने तक बिस्तर पर तड़प-तड़प कर मरा.

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