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छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेर हेरा, धूमधाम से मनाया जा रहा छेरछेरा तिहार - CHHERCHHERA TYOHAR 2025

छत्तीसगढ़ में पौष पूर्णिमा के अवसर पर धूमधाम से छेरछेरा पर्व मनाया जा रहा है.

chherchhera tyohar 2025
छेरछेरा तिहार 2025 (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 13, 2025, 6:13 PM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ में लोकपर्व छेरछेरा का खास महत्व है. सोमवार को पौष पूर्णिमा के अवसर पर धूमधाम से छेरछेरा पर्व मनाया जा रहा है. बच्चे घर घर जाकर छेरछेरा मांगते नजर आ रहे हैं. आज सोमवार को गली मोहल्ले, गांवों और कस्बों से लेकर शहर तक इस परंपरा की झलक देखने को मिल रही है.

नई फसल के खुशी में मनाते हैं त्योहार :फसल की कटाई और मिसाई के बाद किसान के घर में धान की नई फसल की ढेरी लगी रहती है. ऐसे में गांववाले फुर्सत में रहते हैं, तब पौष पूर्णिमा के अवसर पर छेरछेरा त्यौहार मनाया जाता है. इस पर्व में बच्चे टोली बनाकर सुबह से ही छेरछेरा के तौर पर घर घर अन्न दान मांगने निकल पड़ते हैं. बच्चों के साथ बड़े भी खुशी खुशी अन्न का दान मांगते हैं. शाम को जितना भी धान एकत्र होगा, उसे जमा कर सामूहिक भोजन का आयोजन किया जाता है. एक तरह से पिकनिक जैसा माहौल गांव में बन जाता है.

सुबह से ही छेरछेरा की धूम मची हुई है. सभी बच्चे बूढ़े धान का दान मांग रहे हैं. इस दिन घर में पकवान बनते हैं और यह छत्तीसगढ़ का बहुत बड़ा त्यौहार है. नाचते, गाते, बजाते हुए हम यह त्यौहार खुशी से मानते हैं. शहर में इसका प्रचलन कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन गांव में इसे बेहद उत्साह पूर्वक और धूमधाम से मनाया जाता है : राजकुमार केवट, सीतामनी निवासी

छेरछेरा पर्व का प्रसिद्ध लोकगीत : छेरछेरा पर्व पर कई लोकोक्तियां और लोकगीत भी हैं. छेरछेरा मांगते हुए बच्चे कहते हैं कि "छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा.. अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन". यह छेरछेरा पर्व के लिए यह सबसे प्रचलित लोकगीत है. इसका मतलब है कि "मां हमें धान का दान दो, जब तक दान नहीं दोगी, तब तक हम नहीं जाएंगे. दान मिलने पर ही हम यहां से जाएंगे."

छेरछेरा पर अन्न दान मांगने की परंपरा : छेरछेरा मांगना पुरातन काल से चली आ रही एक परंपरा है. छत्तीसगढ़ में लोग छेरछेरा त्यौहार हर साल पौष मास के पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाते हैं. मान्यता है कि छेरछेरा पर्व के दिन कोठी के धान को दान करने से घर में बरकत आती है. इसलिए इस दिन लोग खुशी खुशी धान का दान करते हैं. बच्चों से लेकर बूढ़े सभी उत्साह में झूमते नाचते हुए दिखाई देते हैं. इस दिन माता शाकम्भारी देवी की पूजा भी की जाती है.

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