देहरादून: चीला वाहन हादसे को एक साल पूरे होने जा रहे हैं. इसके बाद भी इस हादसे के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है. हैरत की बात यह है कि मामले की जांच रिपोर्ट सितंबर महीने में ही शासन को सौंपी जा चुकी है. इसके बाद भी सरकार विभागों के परामर्शों में ही अटकी हुई है. हालांकि, इस पूरे प्रकरण में दो अफसरों के खिलाफ न्याय विभाग लिख चुका है, लेकिन वाइल्डलाइफ क्षेत्र में वाहन ट्रायल पर कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं.
राजाजी टाइगर रिजर्व में इंटरसेप्टर वाहन के ट्रायल का प्लान अब भी फाइलों में ही कैद है.चीला वाहन हादसे के दौरान 8 जनवरी को क्या हुआ और इससे पहले वन विभाग में इसको लेकर क्या प्लानिंग की गई ये सभी बातें एक साल बाद भी सार्वजनिक नहीं हो पाई हैं.. हालांकि इस प्रकरण में 6 लोगों की जिंदगियां जाने के बाद सरकार ने इस पर जांच करने का फैसला लिया था. पहले वन विभाग में ही पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ को जांच की जिम्मेदारी देने का निर्णय हुआ, लेकिन, बाद में पूर्व मुख्य सचिव एस रामास्वामी को यह जांच दी गई.
खास बात यह है कि पूर्व मुख्य सचिव ने सितंबर महीने में ही अपनी जांच पूरी कर ली थी, लेकिन अभी भी इस पर ना तो जिम्मेदार अफसरों के नाम सामने आ पाए हैं, और ना ही कार्रवाई को लेकर कोई कदम उठाए जा सका है. जांच रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद विभागीय मंत्री ने भी इसका परीक्षण कर लिया है. इसके बाद न्याय विभाग से भी इस पर परामर्श लिया गया. न्याय विभाग ने दो अधिकारियों के खिलाफ रिमार्क करते हुए कार्मिक विभाग से इस पर परामर्श लेने का सुझाव दिया है.