करनाल:सनातन धर्म में हिंदू वर्ष के प्रत्येक माह का विशेष महत्व होता है. मौजूदा समय में आषाढ़ महीना चल रहा है. आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी से चातुर्मास शुरू हो रहे हैं. चातुर्मास चार महीना का होता है. जिसमें हिंदू वर्ष के सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने को मिलाकर चातुर्मास बनता है. चातुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है.
कब शुरू हो रहा है चातुर्मास: पंडित पवन शर्मा तीर्थ पुरोहित कुरुक्षेत्र ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष चातुर्मास का आरंभ 17 जुलाई को हो रहा है. जिसका समापन 12 नवंबर के दिन होगा. चातुर्मास का आरंभ आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवशयनी एकादशी के दिन होता है. जबकि इसका समापन देवउठनी एकादशी के दिन होता है. चातुर्मास 4 महीने के लिए होते हैं, जिनको देसी भाषा में चौमासा भी कहा जाता है.
चातुर्मास में वर्जित है मांगलिक कार्य:पंडित ने बताया कि चातुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. अगर ऐसा किया जाता है तो उसके काम में बिगन पैदा हो सकती है या फिर अन्य प्रकार की समस्या खड़ी हो सकती है. शास्त्रों में बताया गया है कि चौमासा के शुरू होते ही भगवान विष्णु अपनी शयन अवस्था में चले जाते हैं. मतलब निंद्रा अवस्था में चले जाते हैं. 4 महीने के बाद जब भगवान विष्णु अपनी निद्रा अवस्था से जागते हैं. तब चातुर्मास पूरा होता है.
चातुर्मास में इन देवी-देवताओं की होती है पूजा:चातुर्मास के दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. लेकिन इन दिनों के आप देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर सकते हैं. इसलिए इन दिनों के दौरान विशेष तौर पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए. क्योंकि वह सृष्टि के पालनहार हैं, भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना भी करें. क्योंकि इन चातुर्मास के दौरान सावन का महीना आता है और सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना होता है. इसलिए भगवान भोलेनाथ की आराधना करें और इसके साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करें.